9 अगस्त को सावन की महाशिवरात्रि है और इस बार बेहद शुभ संयोग बन रहा है। ऐसे में अगर आप शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का पूजन करेंगे तो इच्छित फल देंगे भोलेनाथ।
सेक्टर-30 के श्रीमहाकाली मंदिर स्थित भृगु ज्योतिष केंद्र के प्रमुख पंडित बीरेंद्र नारायण मिश्र ने बताया कि धर्म शास्त्र निर्णय सिंधु के अनुसार रात्रि में आठवें मुहूर्त में शिवरात्री होती है। 9 अगस्त को आठवां मुहूर्त है। सावन की शिवरात्रि को त्र्योदशी में प्रदोष काल होने के कारण उसी दिन प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
सूर्यास्त की तीन घड़ी तक प्रदोष माना जाता है। यानी एक घंटे 55 मिनट तक प्रदोष रहेगा। सूर्यास्त शाम को सात बजकर 6 मिनट तक है। शाम को सूर्यास्त से नौ बजकर एक मिनट तक प्रदोष का समय है। प्रदोष काल में शिव पूजन का बेहद महत्व है। त्र्योदशी तिथि के दिन सूर्यास्त से तीन घड़ी तक प्रदोष का पूजा करना चाहिए।
रात नौ बजकर एक मिनट तक प्रदोष है। इस समय पूजा करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। त्र्योदशी को सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। यदि त्र्योदशी और चतुर्दशी का संयोग एक दिन हो, बृहस्पति का दिन हो, चंद्रमा कर्क राशि में हो तो ऐसा संयोग को सर्वार्थसिद्धि योग कहा जाता है।
बुधवार के दिन शुक्र के नीच राशि में आने के कारण यह अमृतमयी योग बना रहा है। ऐसा योग 28 वर्ष के बाद आ रहा है। 9 अगस्त की रात 10 बजकर 45 मिनट पर त्र्योदशी की समाप्ति है। 10 बजकर 46 मिनट से चतुर्दशी तिथि का आरंभ हो जाता है। शुक्रवार की शाम सात बजकर आठ मिनट पर चतुर्दशी की समाप्ति है।
बता दें कि सावन के महीने में 16 सोमवार व्रत रखने के साथ साथ सावन की शिवरात्रि का व्रत भी रखा जाता है। वर्ष में 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि का काफी महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने वालों के पापों का नाश होता है।
इस विधि से करें शिव पूजा
इस दिन सुबह उठ कर स्नान कर के मन को पवित्र कर लें। घर पर या मंदिर में शिव जी की पूजा करें और शिव जी के साथ माता पार्वती और नंदी गाय को पंचामृत जल अर्पित करें। ऐसा करने के बाद शिवलिंग पर ऊपर बताई हुई सामग्रियों को एक एक कर के शिव मंत्र :ॐ नमः शिवाय के जाप के साथ चढ़ाते जाएं। भगवान की पूजा दिल से करें, इससे आप उन्हें जो कुछ भी अर्पित करेंगे उससे आपकी पूजा सफल मानी जाएगी।