लखनऊ: वैसे तो लखनऊ नगर निगम चुनाव में मेयर से लेकर पार्षद की सीट भाजपा की झोली में गयी, पर कुछ ऐस प्रत्याशी भी जीत है, जिसके पास न तो कोई पार्टी थी और न ही किसी पार्टी का स्पोर्ट। चलिए हम आपको एक ऐसी ही युवती के बारे में बताते हैं, जिसने भाजपा पार्टी की प्रत्याशी को हराकर अपनी जीत दर्ज की, वह भी नहीं पार्टी के।
इस युवती का नाम सादिया रफीक है। लखनऊ के एमिटी यूनिवर्सिटी से मास कॉम की छात्रा सादिया रफीक 23 साल की उम्र में लखनऊ नगर निगम से सबसे युवा पार्षद बनी हैं। लखनऊ निकाय चुनाव में वार्ड 34 तिलकनगर से निर्दलीय प्रत्याशी सादिया रफीक ने भाजपा की अर्चना द्विवेदी को करीब 535 वोटों के अंतर से हराया। सादिया को कुल 3170 वोट मिले हैं।
जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 2635 वोट मिले। रफीक अपने पिता रफीक अहमद की विरासत आगे बढ़ाने राजनीति में आईं और उन्होंने निकाय चुनाव लड़ा साथ ही जीत हासिल की। वार्ड नंबर 34 से महिलाओं की समस्याएं दूर करने के वादे के साथ चुनावी मैदान में उतरीं सादिया ने कहा कि उनके वार्ड में युवतियां, महिलाएं और छोटे बच्चे बाहर से पानी भरते हैं। सबसे पहले इस समस्या को खत्म करने का प्रयास करूंगी।
सादिया ने कहा कि वो पूरी कोशिश करेंगी कि महिलाओं की समस्याओं का निपटारा करवा सकेंण् वहीं सादिया ने अपनी जीत का श्रेय माता.पिता और जनता को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि जनता के प्यार और सहयोग से ही सफलता मिली है। महिला मेयर और महिला पार्षद के बारे में पूछे जाने पर शादिया ने कहा कि महिलाओं को अंडर इस्टीमेट किया जाता है जबकि ऐसा है नहीं वो घर के बाहर भी बेहतर काम करने के लिए तैयार रहती हैं।
चुनाव जीतने के बाद सादिया ने कहा कि राजनीति हमारी विरासत में हैं। सादिया ने कहा कि बचपन से ही पापा को राजनीति में देखा और समझा है, इसलिए कुछ भी नया नहीं लगा। वार्ड की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की थी,लोगों की नब्ज समझी और इसी में सुधार के लिए वोट मांगा। पापा रफीक अहमद और भाई आदिल अहमद भी इसी वॉर्ड से पार्षद रहे हैं। वॉर्ड के लिए बहुत काम किया है तो बस हमें उनके अधूरे कामों को आगे ले जाना है। बता दें कि सादिया के पापा रफीक अहमद 1989 में इसी वार्ड से पार्षद बने थेए वहीं 2012 में सादिया का भाई आदिल अहमद भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता था।