नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं बरसी से ठीक एक दिन पहले आज सुप्रीम कोर्ट में रामजन्म भूमि- बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले और पक्षकारों की दलीलों के मद्देनजर ये तय करेगी कि आखिर इस मुकदमे का निपटारा करने के लिए सुनवाई को कैसे पूरा किया जाए यानी हाईकोर्ट के फैसले के अलावा और कितने तकनीकी और कानूनी बिंदू हैं जिन पर कोर्ट को सुनवाई करनी है।
सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर भी होंगे। इस मुकदमे की सुनवाई के लिए सभी पक्षकार पूरी तैयारी से अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। अयोध्या से दिल्ली पहुंचे रामलला विराजमान की ओर से पक्षकार महंत धर्मदास ने दावा किया कि सभी सबूत, रिपोर्ट और भावनाएं मंदिर के पक्ष में हैं।
हाईकोर्ट के फैसले में जमीन का बंटवारा किया गया है जो हमारे साथ उचित न्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी कोर्ट में दलील होगी कि यहां ढांचे से पहले भी मंदिर था और जबरन यहां मस्जिद बनाई गई। लेकिन बाद में फिर मंदिर की तरह वहां राम लला की सेवा पूजा होती रही अब वहीं रामजन्मभूमि मंदिर है, लिहाजा हमारा दावा ही बनता है।
कोर्ट सबूत और कानून से न्याय करता है और सबूत और कानून हमारे साथ है। यानी रामलला के जन्मस्थान पर सुप्रीम कोर्ट भी सबूतों और कानूनी प्रावधान पर ही न्याय करेगा। दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि कोर्ट में भी वो अपने बोर्ड का रुख ही दोहरांगे। शिया वक्फ बोर्ड का तो मानना साफ है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बने, रही बात मस्जिद की तो लखनऊ या फैजाबाद में मस्जिद अमन बने।
वहां मुस्लिम भाई नमाज अदा करें,किसी को इसमें कोई परेशानी नहीं है। बता दें कि इस मामले से जुड़े 9000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृतए अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेज़ों को अनुवाद कराने की मांग की थी।