इन दिनों अमेरिका का रवैया पाकिस्तान को लेकर उतना उत्साहित नहीं है जितना कि नवाज शरीफ के समय में था। अभी हाल ही में नए साल पर अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को दी जाने वाली सहयोग राशि में भी कटौती हुई है। 2 बिलियन यूएस डालर की एक सहायता राशि को ट्रंप ने हाल में ही बंद किया है। आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका पाकिस्तान से जो सहयोग मांग रहा है वो भी पाकिस्तान को भारी पड़ रहा है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने से इमरान की चिंताएं अभी से बढ़ गईं हैं।
इमरान खान ने कहा है कि अफगानिस्तान के लिए अमेरिका पाकिस्तान की आड़ लेने की कोशिश करता है जबकि अफगानिस्तान में बढ़ते आतंकवाद से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में इमरान को लगता है कि अफगानिस्तान मुद्दे पर पूरे पाकिस्तान को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 9/11 घटना का हवाला देते हुए इमरान ने कहा कि हम भी आतंकवाद के खिलाफ हैं लेकिन इसके लिए अपने लोगों को ही परेशान करना ठीक नहीं है।
इमरान को अब ये डर ज्यादा सता रहा है कि अगर पाकिस्तानी जनता ने उन्हें चुना तो वो उनके लिए कैसे काम कर पाएंगे? अपनी बात को सीधे तौर पर इमरान ने अमेरिकी राजदूत रिचर्ड ऑलसन को संबोधित किया। बता दें कि अगले साल पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं।