चीन अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने की कवायद में जुट गया हैं. इसके लिए उसने बाकायदा तैयारी कर काम भी शुरू कर दिया हैं. विश्व का सबसे बड़ा सैन्य बल चीन के पास हैं जिसका नाम हैं पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए). अब ये सेना खुद को और अधिक मजबूत और सक्षम बनाने के लिए विश्वस्तरीय युद्ध आयुधो के प्रयोग और अन्य सैन्य प्रशिक्षणों की तैयारी कर रही हैं.
इसके लिए चीन सरकार ने नवीनतम सैन्य प्रशिक्षण प्रोग्राम बनाया हैं. इसे राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता वाले केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) ने मंजूरी दे दी है. गौरतलब हैं कि सत्ता में आने के बाद से ही चिनफिंग देश की 23 लाख सैनिकों वाली सेना को युद्ध प्रशिक्षण देने पर जोर देते रहे हैं. पीएलए, नौसेना और वायुसेना तिब्बत के साथ ही विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान के समीप व्यापक सैन्य अभ्यास करती रहती है.
नए प्रशिक्षण में पीएलए की युद्ध क्षमता, युद्ध के हालात में प्रशिक्षण और संयुक्त प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्रशिक्षण की नई रूपरेखा में पीएलए एक मिशन के तहत काम करेगी. राष्ट्रीय सुरक्षा और बलों का 2035 तक पूर्ण आधुनिकीकरण किये जाने के साथ 2050 तक सेना को विश्वस्तरीय बल में परिवर्तित करने का लक्ष्य हैं. भारत से चीन के संबंध इन दिनों लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. समुद्री सीमाओं को लेकर, डोकलाम मुद्दे पर, व्यापारिक संबंधो और समझौतों के साथ साथ चीन की पाकिस्तान से बढ़ती मैत्री और भारत की ओर अमरीका का बढ़ता रुझान दोनों देशों में बढ़ती दूरियों के मुख्य कारण हैं.
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