कश्मीर में पत्थरबाजों को ग्रेनेड फेंकने का जिम्मा सौंपा गया है। अलगाववादी नेता और सीमा पार से आ रही फंडिग से इन युवाओं को प्रत्येक हमले भारी रकम दी जा रही है। सुरक्षा बलों पर मारो और भागो रणनीति के तहत युवा हमला करने के बाद घटना को अंजाम देकर तुरंत मौके से निकल जाते हैं। केंद्रीय खुफिया सूत्रों के अनुसार पिछले दो महीने से सुरक्षा बलों पर एक दर्जन ग्रेनेड हमले और गोली मारने के मामले हुए हैं। शोपियां, पुलवामा और डाउन टाउन में ग्रेनेड हमले किए गए। सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के गश्ती दल पर ग्रेनेड हमले हुए और उन पर गोली चलाई।
रिपोर्ट के अनुसार एक नई रणनीति के तहत मारो और भागो की रणनीति के तहत कार्रवाई की जा रही है। घाटी के अलग अलग स्थानों में करीब पचास ऐसे युवाओं को तैयार किया गया है, जिनका निशाना पक्का है।
ग्रेनेड दागने पर 5 और गोली चलाने पर दिया जाता है 10000
इन युवाओं को घाटी में ही कुछ अलगाववादी नेता एवं राजनीतिक नेता फंडिग कर रहे हैं। ग्रेनेड दागने पर पांच हजार और गोली चलाने पर दस हजार रुपये दिए जा रहे हैं। सीमा पार से आईएसआई और हवाला राशि से भी इनकी फंडिग की जा रही है।
सुरक्षा बलों में अफरा तफरी और परेशान करने के लिए युवाओं को चैनलाइज किया गया है। इन हमलों के बाद सुरक्षा बलों ने कई जगह पर कासो भी चलाया। लेकिन कहीं से कोई सफलता नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार इन हमलों में अधिकतर स्थानीय युवा ही शामिल हैं।
इन युवाओं की पहचान नहीं होने के कारण सुरक्षा बल भी कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहे हैं। एडीजीपी मुनीर खान के अनुसार इन घटनाओं के मद्देनजर घाटी में गश्ती दल को और सतर्क रहने के आदेश दिए गए हैं। कश्मीर में हाल फिलहाल में सुरक्षा बलों की चौकियों पर ग्रेनेड दागने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।