जिसको मासूम ने अपना चाचा कहा, आरोपी ने उसकी ही हत्या कर दी। मासूम आशीष के जन्म से पहले अवधेश दिल्ली आकर रहने लगा था। परिवार के सदस्य की तरह उसका मासूम के घर आनाजाना था।
इसी भरोसे का फायदा उठाकर आरोपी मासूम को अपने कमरे पर ले गया। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया है कि वह 37 दिन लगातार उसी कमरे में सोया जिसमें शव छुपाया था। आरोपी अवधेश ने खुलासा किया कि करीब एक सप्ताह पूर्व उसके पिता कालीचरण व मां दिल्ली किसी काम से आए थे। दिल्ली आने के बाद यह लोग अवधेश के कमरे पर पहुंचे। कालीचरण ने कमरे में दुर्गंध आने की बात की तो आरोपी ने पिता से झूठ बोलते हुए कहा कि कमरे में चूहा मर गया था, जिसकी दुर्गंध कमरे में बस गई है। दुर्गंध निकलने में समय लगेगा। सुबह होते ही माता-पिता चले गए।
इधर उसके पड़ोस के कमरे में रहने वाले पड़ोसी व मकान मालिक राधे श्याम भी कई बार अवधेश के कमरे में गया, लेकिन उनको भी उसने दुर्गंध के बारे में पूछे जाने पर बेवकूफ बना दिया। लेकिन धीरे-धीरे जैसे समय बीत रहा था। उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी। अब अवधेश को लगता था कि शायद उसकी पोल खुल जाएगी। यही वजह थी कि उसने पिछले तीन-चार दिनों से आशीष के परिवार से दूरी बनाना शुरू कर दी थी। परिवार को उसके व्यवहार पर शक हुआ तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
आरोपी अवधेश के परिवार में तीन बहनें और माता-पिता हैं। वह दिल्ली में दस साल से रह रहा था और यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। पुलिस के मुताबिक उसने यूपीएससी की प्राथमिक परीक्षा दो बार पास कर चुका है। दिल्ली में रहने व बेरोजगार होने की वजह से उसपर काफी कर्ज हो गया था। साथ ही बहनों के बड़े होने से उनकी शादी की भी चिंता उसे सताने लगी थी। इसलिए उसने वारदात को अंजाम दिया। उसे इस बात का एहसास था कि तीन परचून दुकान के मालिक करण से उसे 20 लाख की फिरौती मिल सकती है।
अपने जवान बेटे की हत्या का दर्द झेल रहे आशीष के दादा लाल सिंह पोते की हत्या की खबर सुनकर पूरी तरह से टूट चुके हैं। उनका कहना है कि आरोपी अवधेश को वह अपने बेटे की तरह मानते थे। उसके ऐसा काम करने का उसने सपने में नहीं सोचा था। उन्होंने कहा कि दस साल पहले उसके भांजे ने अवधेश के बारे में बताया था। उसने कहा था कि वह प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जा रहा है और उसे एक किराये का कमरा दिला देना।
अवधेश के दिल्ली आने के बाद उन्होंने ने अपने भाई के घर में उसे किराए पर रखवा दिया। तीन चार साल से आरोपी इस मकान में रह रहा था। लाल सिंह ने बताया कि उसके छोटे बेटे नरेंद्र की वर्ष 2007 में हत्या कर दी गई थी। उसकी हत्या करने के बाद शव को हैदरपुर नहर में फेंक दिया गया था। उस मामले का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। पोते के गायब होने के बाद वह इस मामले में काफी गंभीर थे और दो दिन पूर्व ही वह इस मामले की पैरवी के लिए तीस हजारी अदालत में वकील ठीक करने गए थे।