लखनऊ: आतंकी संगठन लश्कर-ए तैयबा नाम से व्हाट्स ग्रुप बनाने वाले दोनों छात्रों से हजरतगंज पुलिस ने गुरुवार को कई घंटे तक पूछताछ की। छात्रों का कहना है कि उन्होंने मजाक-मजाक में ग्रुप को लश्कर.ए.तैयबा का नाम दे दिया था। इसके पीछे उनकी कोई गलत मंशा नहीं थी। साइबर क्राइम सेल की टीम ने छात्रों के मोबाइल फोन से डिलीट किया गया डाटा रिकवर करके उसकी जांच की।
पड़ताल में सामने आया कि ग्रुप में चुटकुले आदि शेयर किए गए थे। पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों को छोड़ दिया। हजरतगंज निवासी मनोज कुमार ने 25 फरवरी को हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। मनोज के मुताबिक वह एक व्हाट्स ग्रुप से जुड़े हैं जिसमें मेडिकल स बंधी जानकारी शेयर की जाती है।
23 फरवरी को इस ग्रुप में एक लिंक भेजा गया जो कि एमआइएम और लश्कर-ए-तैयबा के नाम से था। इस पर मनोज ने पुलिस कंट्रोल रूम पर सूचना देने के साथ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। मनोज ने आशंका जताई थी कि कोई देशद्रोही किस्म के व्यक्ति ने यह ग्रुप बनाया है।
सीओ अभय कुमार मिश्रा ने मामले की जांच साइबर क्राइम सेल के प्रभारी अरुण कुमार सिंह को दी थी। पुलिस ने उस मोबाइल नंबर को रडार पर लिया जिससे मनोज को व्हाट्स एप पर लिंक भेजा गया था।
पड़ताल में सामने आया कि उक्त नंबर राजस्थान के भिलवाड़ा में रहने वाले 9वीं के छात्र सलमान का था। लखनऊ पुलिस की सूचना पर भिलवाड़ा पुलिस ने माण्डलगढ़ इलाके में रहने वाले सलमान को पूछताछ के लिए बुलाया था।
सलमान ने पूछताछ में बताया था कि उसने अपनी क्लास में पढऩे वाले दोस्त शाकिर के साथ मिलकर यह ग्रुप बनाया था। उसका दोस्त ही गु्रप का एडमिन है। पुलिस का फोन आने पर हड़बड़ी में छात्रों ने ग्रुप डिलीट कर दिया था।