फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को राफेल खरीदने के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने अतिरिक्त 36 राफेल विमानों में मेक इन इंडिया की अच्छी हिस्सेदारी होने की बात भी कही थी। फिलहाल रक्षा मंत्रालय ने इसपर कोई फैसला नहीं लिया है। मगर माना जा रहा है कि फ्रांस के ऑफर पर विचार तब किया जाएगा जब पहले हुई डील के 36 राफेल विमानों की डिलिवरी हो जाएगी। इन 36 विमानों को हसीमारा (पश्चिम बंगाल) और अंबाला (हरियाणा) के एयरबेस में 2019 से 2022 के बीच जगह मिलनी शुरू हो जाएगी। हालांकि दोनों पक्षों ने जैतपुर में परमाणु रिएक्टर के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
पिछले कुछ समय से राफेल भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का अहम का मुद्दा बना हुआ है। जहां कांग्रेस इस डील में भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है वहीं भाजपा ने इस तरह के आरोपों से इंकार किया है। सूत्रों के अनुसार राफेल डील के संदर्भ में हाल ही में फ्रांसीसी सरकार की ओर से पहल की गई है। बताया जाता है कि पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठा है।
पीएम से मुलाकात के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति की ओर से जारी बयान के अनुसार, भारत ने इस संदर्भ में एक संप्रभु फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि हम इस मामले में हुई प्रगति पर नजर रखे हुए हैं। हम इसे जारी रखना चाहते हैं। यह लंबे समय का अनुबंध है। इससे दोनों को परस्पर लाभ होगा। भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल की खरीद का सौदा किया था।