दुनियाभर में कंकरीट के जंगल तेजी से बढ़ रहे हैं। तेजी से बढ़ते शहरों की वजह से जंगल काटे जा रहे हैं। मौजूदा आंकड़ों की अगर बात करें तो देश के कई बड़े शहरों में हरियाली 50 फीसदी से ज्यादा कम हुई है। जंगल सिर्फ भारत में ही कम नहीं हो रहे हैं बल्कि दुनियाभर में जंगल के खत्म होने की रफ्तार तेज हुई है और इसका सबसे बड़ा कारण है औद्योगिक और शहरी विकास।
21 मार्च को पूरी दुनिया इंटरनेशनल फॉरेस्ट डे मना रही है। देश से लेकर विदेश तक जंगलों की स्थिति पर बात की जा रही है। जंगल लगाए जाने को लेकर दुनियाभर में एक बार फिर से चर्चा की जा रही है। लेकिन फिर भी जंगल तेजी से काटे जा रहे हैं।
दुनिया को नई दिशा और दशा देने में जुटे संयुक्त राष्ट्र ने इस साल की थीम “जंगल और हरे भरे शहर” रखा है। दुनिया में बढ़ते शहरीकरण की वजह से 51 फीसदी पेड़ घटे हैं जबकि 2016 के आंकड़ें बताते हैं कि 7.3 करोड़ एकड़ पेड़ धरती से खत्म हुए हैं। यह आंकड़ा 2015 से 50 फीसदी ज्यादा है।
जंगल न केवल ऑक्सीजन के सबसे बड़े स्नोत होते हैं साथ ही पृथ्वी के तापमान को भी नियंत्रित करते हैं। वन केवल बादलों को ही आकर्षित नहीं करते हैं। बल्कि भूमि की नमी को बनाए रखने में मदद करता है। आंकड़ों के मुताबिक विश्व में धरती का एक तिहाई हिस्सा वनों से आच्छादित है, किंतु भारत में यह कुल भूमि का 22 प्रतिशत से भी कम है। भारत में तो प्रति व्यक्ति मात्र 0.1 हेक्टेयर ही वन है, जबकि विश्व का औसत 1.0 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति है।
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