एक नए अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि अवसाद या मधुमेह से पीड़ित लोगों को स्वस्थ लोगों की तुलना में डिमेंशिया होने का खतरा ज्यादा होता है। अध्ययन के अनुसार टाइप-2 मधुमेह से डिमेंशिया होने का खतरा 20 फीसदी अधिक होता है, जबकि अवसाद के कारण डिमेंशिया होने का खतरा 83 फीसदी अधिक होता है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को अवसाद व मधुमेह दोनों हो, तो डिमेंशिया होने का खतरा 117 फीसदी अधिक हो जाता है। सिएटल स्थित युनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के दिमित्री डेविडॉ तथा सहायक लेखक ने अवसाद तथा टाइप-2 मधुमेह तथा दोनों से पीड़ित लोगों पर डिमेंशिया के खतरे का अध्ययन किया, टाइप-2 मधुमेह के प्रारंभिक निदान की औसत आयु 63.1 साल पाई गई, जबकि अवसाद के लिए प्रारंभिक निदान की औसत आयु 58.5 साल पाई गई, लेखकों ने पाया कि अध्ययन के दौरान 2.4 फीसदी लोगों (59,663) को डिमेंशिया हुआ, जिसके निदान की औसत आयु लगभग 81 वर्ष थी, यह अध्ययन ऑनलाइन पत्रिका ‘जेएएमए साइकेट्री’ में प्रकाशित हुआ है।