इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि कैलास-मानसरोवर तीन देशों की साझा विरासत रहेगी। इसकी अगुवाई भारत करेगा। जल्दी ही भारत, चीन और नेपाल की सरकारों के प्रतिनिधि इस पर वार्ता करेंगे।
यूनेस्को केटेगरी-2 सेंटरों की विश्व स्तरीय पांचवीं कोऑर्डिनेशन मीटिंग के अंतिम दिन कैलास-मानसरोवर पवित्र भू परिक्षेत्र की पहली मंजिल तय हो गई।
खास बात यह रही कि यहां जुटे दुनिया भर के विभिन्न विश्व धरोहर सेंटरों और यूनेस्को पदाधिकारियों के पैनल ने भू परिक्षेत्र में एक भी खामी नहीं निकाली, सिर्फ कैलास-मानसरोवर क्षेत्र की खूबियां गिनाईं।
सी2सी कोआर्डिनेशन में वैसे मुद्दे तो और भी थे, लेकिन कैलास-मानसरोवर सब पर छाया रहा। भू परिक्षेत्र का जितना महत्व प्राकृतिक था, उतना ही सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और व्यापारिक भी और उससे ज्यादा कूटनीतिक। पैनल ने कहा कि यह विश्व धरोहर शांति का प्रतीक भी है।
इसे भारत, चीन और नेपाल की साझा विरासत माना गया। तीनों देशों के सरकारी प्रतिनिधियों की वार्ता के लिए भी कहा गया। यूनेस्को पैनल ने अगुवाई की जिम्मेदारी भारत को दी है। भारत ने ही इस पर सबसे अधिक तैयारी की है।
कैलास-मानसरोवर विश्व धरोहर के प्रस्ताव के दो हिस्से होंगे। एक प्राकृतिक और दूसरा सांस्कृतिक। भारतीय वन्य जीव संस्थान स्थित यूनेस्को केटेगरी-2 सेंटर के निदेशक डॉ. वीबी माथुर ने बताया कि अब विभिन्न संस्थानों के पुरातत्व, भूगर्भ के युवा शोधार्थियों को भी जोड़ा जाएगा। इससे भू परिक्षेत्र की नई विशेषताएं उजागर होंगी।