1982 और 1983 के बीच ग्वाटेमाला पर शासन करने वाले और पूर्व नरसंहार के आरोपों पर मुकदमे का सामना कर रहे पूर्व सैन्य तानाशाह एफरेन रियोस मोंट का रविवार का निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। उनके वकील लुइस रोजलेस ने कहा रियोस मोंट की उनके घर पर मौत हो गई है। उनपर अपने छोटे से शासनकाल के दौरान 1771 स्वदेशी इक्सिल-माया लोगों की हत्या का आरोप था।
2013 के एक मुकदमें में उन्हें 80 साल की सजा सुनाई गई थी। इन्हें तब पहली बार लैटिन अमेरिकी पूर्व तानाशाह को नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया था। हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही ग्वाटेमाला के संवैधानिक न्यायालय ने कुछ त्रुटि के कारण इस फैसले को उलट दिया था। साथ ही एक अन्य मुकदमे का आदेश दिया था।
फिर अदालत ने 2016 मे एक फैसला सुनाया था कि प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग होने की कोशिश करनी चाहिए। रियोस मोंट के वकीलों ने इस कार्यवाही को रोकने की मांग की थी। उनका तर्क था कि उनका स्वास्थ्य बहुत खराब है और वह पागलपन की बीमारी से पीड़ित हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक ग्वाटेमाला के लंबे क्रूर गृहयुद्ध के दौरान 2 लाख लोग मारे गए थे। रिओस मोंट पर स्वदेशी जनसंख्या के खिलाफ नई नीति का आयोजन करने का आरोप लगा था। जिसे गरीबों के साथ मिलकर सरकारी बलों के खिलाफ युद्ध छेड़ने माना जाता था। हालांकि मोंट ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था।
उन्होंने कहा था कि मैंने कभी जाति धर्म के खिलाफ कभी कोई आदेश नहीं दिया था। बता दें कि वह मेक्सिको के पास ग्वाटेमाला के दूरदराज ह्वेहुतेनेंगो प्रांत में पैदा हुए थे। वह छोटी सी उम्र में ही सेना में शामिल हो गए थे। उन्होंने अमेरिका के रन स्कूल ऑफ अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करते हुए लैटिन अमेरिकी अधिकारियों से असंतुष्ट होकर उनके खिलाफ कठोर रणनीति का इस्तेमाल किया।
वह राजनीतिक रूप से, 1974 में में आगे आए, वह ब्रिगेडियर जनरल के रूप में उन्हें गठबंधन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किया था। इतिहासकारों का कहना है कि इसमें उन्हें भारी जीत मिली, लेकिन चुनावी धोखाधड़ी के चलते उन्हें यह पद लेने से रोका गया।
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