नई दिल्ली. फर्जी खबरें यानी फेक न्यूज रोकने संबंधी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक दिन पहले के आदेश ने एक बार फिर केंद्र सरकार की किरकिरी करा दी है. मंत्रालय द्वारा सोमवार की शाम जारी किए गए इस आदेश के देशव्यापी विरोध के बाद आज सरकार ने इसे वापस लेने का आदेश दे दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में मंत्रालय को अपना आदेश वापस करने को कहा है. इससे पहले मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि सरकार फर्जी खबरें प्रकाशित करने वाले या ऐसा दुष्प्रचार करने वाले पत्रकारों पर सख्त कार्रवाई करेगी. ऐसी खबरों के प्रचार-प्रसार करने वाले पत्रकार की सरकारी मान्यता स्थाई रूप से समाप्त कर दी जाएगी. मंत्रालय ने फर्जी खबरों की जांच के लिए 15 दिन की समयावधि भी निर्धारित कर दी थी.
पीएम मोदी ने कहा- प्रेस काउंसिल ही सुनेगा मामला
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश को लेकर देश के कई संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई थी. इसके अलावा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे. कई पत्रकारों ने इस आदेश की निंदा करते हुए इसकी तुलना पूर्ववर्ती कांग्रेस के राजीव गांधी सरकार द्वारा लाए गए प्रेस संबंधी कानून से भी की. देशव्यापी विरोध के बाद सरकार ने मंत्रालय के आदेश को वापस लेने का आदेश दिया. समाचार एजेंसी एएनआई के किए गए ट्वीट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रालय को यह आदेश वापस लेने का निर्देश दिया. साथ ही पीएम ने यह भी कहा कि फेक न्यूज से संबंधित कोई भी निर्णय सिर्फ और सिर्फ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ही लेगा.
दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने भी की आलोचना
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी फेक न्यूज के संबंध में दिए गए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर सवाल उठाया. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार शीला दीक्षित ने आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘फेक न्यूज की परिभाषा क्या है? लोकतंत्र में मीडिया के ऊपर प्रतिबंध लगाना एक तरह से जनतांत्रिक व्यवस्था की हत्या करने जैसा है.’ मंत्रालय के आदेश के पीछे सरकार की मंशा पर बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आज लोगों को सरकार समर्थित खबरें ही पढ़ने-सुनने को मिल रही हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. भारत में मीडिया हमेशा से प्रतिबंधमुक्त रही है और यही व्यवस्था चलती रहनी चाहिए.’
फर्जी खबरों को लेकर क्या था मंत्रालय का आदेश
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज को लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक, दोनों मीडिया के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे. इसमें कहा गया था कि फर्जी खबरें अगर अखबारों से संबंधित हैं तो इनकी शिकायत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) को भेजी जाएगी. वहीं अगर ये खबरें टीवी चैनलों से संबंधित हैं तो न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (एनबीए) शिकायतें सुनेगा. मंत्रालय ने कहा था कि दोनों संस्थाओं को 15 दिनों के भीतर जांच कर यह बताना होगा कि खबर फर्जी है या नहीं. पत्रकारों के लिए जारी दिशा-निर्देशों में मंत्रालय ने कहा था कि कोई पत्रकार अगर फर्जी खबर प्रकाशित करता या प्रसारित करता पाया गया तो पहली बार में उसकी मान्यता छह महीने के लिए निलंबित की जाएगी. दूसरी बार पकड़े जाने पर निलबंन की अवधि एक साल होगी और तीसरी बार की गलती के बाद पत्रकार की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी. यही आदेश अब वापस ले लिया गया है.