दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दलित मुद्दे पर सियासत चरम पर है और दोनों ही दल खुद को दलितों का हितैषी बताने में लगे हुए हैं। वहीं संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामे की भेंट चढऩे लेकर भी दोनों पार्टियों में तनातनी जारी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ते नजर आ रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार की कथित नाकामियों, दलित उत्पीडऩ और संसद ठप होने के खिलाफ कांग्रेस सोमवार को देशव्यापी विरोध- प्रदर्शन करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद इस विरोध-प्रदर्शन की अगुआई करेंगे। वह बापू की समाधि पर एक दिन का उपवास रखेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ता भी एक दिन का उपवास रखेंगे और सभी राज्यों और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी भी विपक्ष पर संसद न चलने देने का आरोप लगाते हुए 12 अप्रैल को अपने सांसदों द्वारा उपवास की घोषणा कर चुकी है।
राहुल दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने संसद नहीं चलने दी जिस वजह से सीबीएसई पेपर लीक, पीएनबी घोटाला, कावेरी मुद्दा और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे जैसे तमाम अहम मुद्दे सदन में नहीं उठाए जा सके।
उपवास के दौरान कांग्रेस एससी, एसटी ऐक्ट में कथित ढील दिए जाने से जुड़े मुद्देए किसानों की बदहाली और युवाओं के मोहभंग के मुद्दे भी उठाएगी। कांग्रेस ने 2 अप्रैल को एससी,एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के भारत बंद को भी समर्थन दिया था। दरअसल दोनों कांग्रेस और बीजेपी को दलित वोटों की कीमत मालूम है और दोनों ही पार्टियां इस वोट बैंक को अपने पाले में करने की हरसंभव कोशिश करने में लगी है।