Be Alert: बीमा धारकों होशियार कहीं आपके पास ऐसी कॉल तो नहीं आयी!

लखनऊ: हरियणा के परवल निवासी रमेश सिंह के पास एक दिन एक फोन आया। फोनकर्ता ने हेलो कहते हुए बताया कि वह बीमा कम्पनी का अधिकारी है। आपकी पालिसी पर कम्पनी बोनस दे रही है। बोनस का नाम सुनते ही ग्राहक खुश। इसके बाद फोनकर्ता ने बोनस की रकम दिलाने के नाम पर बैंक का एक खाता नम्बर दिया और प्रोसेसिंग के नाम पर रुपये जमा करने के लिए कहा। ग्राहक ने बिना कुछ सोचे समझे ही फोनकर्ता के बताये गये खाते में 88 हजार रुपये डाल दिये। बाद में ग्राहक को पता चला कि बोनस दिलाने के नाम पर उसके साथ ठगी हुई है।

बीमा पालिसी पर अतिरिक्त लाभ और बोनस देने के नाम पर लोगों की गाढ़ी कमाई ठगने वाले एक गैंग का लखनऊ पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस गैंग से जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 1.12 लाख रुपये, लैपटाप, 67 मोबाइल फोन, सिमकार्ड, बाइक सहित भारी मात्रा में बैंक संबंधित दस्तावेत बरामद किये हैं।

एसपी क्राइम दिनेश सिंह ने बताया कि चंद रोज पहले हरियाणा के परवल निवासी रमेश सिंह ने इस बात की शिकायत कृष्णानगर पुलिस से की थी कि उनकी बीमा पालिसी पर बोनस दिलाने के नाम पर जालसाजों ने उनके 88 हजार रुपये हड़प लिये। जालसाजों ने रुपये कृष्णानगर इलाके में स्थित आंध्रा बैंक के एक खाते में जमा कराये थे।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कृष्णानगर पुलिस ने रमेश सिंह की तहरीर पर धोखाधड़ी और जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज की। मामले की छानबीन के लिए कृष्णानगर पुलिस क्राइम ब्रांच से भी मदद मांगी। क्राइम ब्रांच और कृष्णानगर पुलिस ने जब छानबीन को आगे बढ़ाया तो पता चला कि इस तरह बीमा पालिसी के नाम पर बोनस दिलाने की आड़ में एक पूरा गैंग है जो सीधे-साधे लोगों से ठगी कर रहा है।

इसके बाद सर्विलांस की मदद से कृष्णानगर पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने बीती रात पिकडैली होटल के पास से 6 जालसाजों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से 1.12 लाख रुपये, 6 लैपटाप, 67 मोबाइल फोन, 23 एटीएम कार्ड, 15 पासबुक, 61 सिमकार्ड, 5 वोटर कार्ड, 5 आधार कार्ड, 2 पैनकार्ड, एक बाइक, 47 मोबाइल फोन की बैटरी सहित अन्य दस्तावेज बरामद किये।

पूछताछ की गयी तो पकड़े गये आरोपियों ने अपना नाम दिल्ली निवासी अमन कुमार, गौरव कुमार सिंह, झांसी निवासी गौरव मेहता, पारा निवासी आकाश कुमार, रायबरेली निवासी अंकित और गोसाईगंज निवासी रवि वर्मा बताया। इस गैंग के दो सदस्य विनोद और कविता को कुछ समय पहले दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जबकि पकड़े गये आरोपी फरार थे। पकड़े गये आरोपियों के खिलाफ दिल्ली, गाजियाबाद और मध्य प्रदेश में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं।

दिल्ली फिर लखनऊ और अब कानपुर में बना रखा था ठीकाना
एसपी क्राइम दिनेश सिंह का कहना है कि पकड़े गये जालसाजों ने सबसे पहले दिल्ली में एक फर्जी कॉल सेंटर खोला था। वहीं से आरोपी सीधे-साधे लोगों को फोन पर सम्पर्क कर खुद को बीमा कम्पनी का अधिकारी बताकर उनको बोनस की लालच देते थे। लालच में आने वाले व्यक्ति से आरोपी बड़ी आराम से हजारों रुपये अपने खाते में जमा करा लेते थे। दिल्ली में आरोपियों के कुछ साथियों की गिरफ्तारी के बाद यह लोग लखनऊ आ गये और गोमतीनगर इलाके से अपना रैकेट आपरेट करने लगे। इस बीच आरोपियों को शक हो गया कि शायद लखनऊ में उनको पकड़ा जा सकता है तो अब आरोपियों ने कानपुर को अपना नया ठीकाना बनाया था।

गांव के लोगों को रुपये देकर खुलवाते थे फर्जी खाते
एसपी क्राइम ने बताया कि पकड़े गये जालसाज ठगी की रकम अपने खाते में नहीं मंगवाते थे। यह लोग गांव के लोगों को 5 हजार रुपये देकर उनके नाम व पते से खाते खुलवाते थे। इसके बाद उन ग्रामीणों का एटीएम, पासबुक और चेकबुक खुद ही रख लेते थे। ठगी की रकम खाते में आने के बाद आरोपी फौरन उन खाते से रुपये निकाल अपने असली खाते में डाल दिया करते थे।

जस्ट डायल से हासिल करते थे बीमाधारकोंं की डीटेल
पूछताछ में पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि उनके पास से जो 21 पेज का डाटा मिला है, जिसमें अलग-अलग बीमा कम्पनियों के ग्राहकों के नाम पर नम्बर हैं, यह डाटा आरोपी जस्ट डायल सर्च इंजन से हासिल करते थे। बीमा धारकों की डीटेल आने के बाद वह लोग उन लोगों से सम्पर्क करते थे और लालच देकर अपना शिकार बनाते थे।

बीमाधारक इन सावधानियों को जरूर बरतें
आजकल इस तरह की ठगी का धंधा काफी चलन में है। जालसाज बड़ी आराम से लोगों का डाटा हासिल कर उनसे सीधे सम्पर्क करते हैं। ऐसे में बीमा धारकों को थोड़ा होशियार रहने की आवश्यकता है। बीमा कम्पनी के नाम पर बोनस से संबंधित कॉल आने पर होशियार हो जाये। कोई भी कम्पनी फिलहाल पालिसी पर अलग से कोई बोनस नहीं देती है। इसके अलावा हो सके तो सीधे कम्पनी से सम्पर्क कर पालिसी और उसके बोनस के बारे में पता कर लेें। किसी भी फोनकर्ता को बीमा कम्पनी का अधिकारी न समझें। अगर कोई रुपये जमा कराने की बात कहता है तो समझ जाइये की वह ठग है।

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