लखनऊ: राजधानी पुलिस ने अपने पुलिसकर्मियों को बेहतर सुविधा देने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है। शनिवार को लखनऊ पुलिस ने अपने कर्मचारियों की एकाउंट और आफिस से संबंधित दिक्कतों को दूर करने के लिए डीजीआरएस सिस्टम लागू किया गया है। इस तरह की सिस्टम फिलहाल किसी भी जनपद में नहीं है।
एसपी ग्रामीण व एसपी आफिर गोरव ग्रोवर ने बताया कि मौजूदा समय में लखनऊ पुलिस के पास 9 हजार के करीब पुलिसकर्मी हैं। अक्सर पुलिस कर्मियों को अपनी एकाउंट और आफिस संबंधित दिक्कतों के लिए डालीगंज स्थित पुलिस आफिस आना पड़ता है। ऐसे में पुलिस कर्मियों समय हो जाता ही है और पुलिसिंग पर भी असर पड़ता है।
बढ़ती हुई टेक्नालजी का प्रयोग करते हुए लखनऊ पुलिस के लोगों की एकाउंट और आफिस संबंधित दिक्कतोंं को दूर करने के लिए एसएसपी दीपक कुमार ने एक कम्प्यूरीकिरत सिस्टम बनाने के लिए कहा था। एसएसपी के इस आदेश पर एसपी ग्रामीण गौरव ग्रोवर, सीओ एकाउंट तुन उपाध्याय और सीओ आफिस नइमुल हसन ने विभागीय शिकायत निवारण प्रणाली यानि डीसीआरजी सिस्टम तैयार किया। शनिवार को एसपी ग्रामीण ने इस नई प्रणाली की शुरुआत पुलिस आफिस से की।
इस तरह कर सकेंगे अपनी शिकायत
एसपी ग्रामीण ने बताया कि अब जिले में तैनात पुलिस वालों को पुलिस आफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसके लिए डीसीआरजी सिस्टम के तहत लोग वाट्सअप नम्बर 7839861216 पर शिकायत की जा सकती हे। वहीं पुलिस वाले एकाउंट से संबंधित अपनी शिकायत coacctlko@gmail.com की। और दफ्तर से संबंधित अपनी शिकायत coofficelko#gmail.com पर कर सकते हैं।
इस तरह काम करेगा पूरा सिस्टम
एसपी ग्रामीण ने बताया कि पुलिसकर्मी जैसे ही इस प्रणाली के माध्यम से कोई शिकायत करेंगा उसकी शिकायत को दर्ज कर एक शिकायती पत्र नम्बर दे दिया जायेगा। इसके बाद उसकी शिकायत पर तय समय में दूर कर पुलिसकर्मी को उसकी सूचना भी दे दी जायेगी।
इस सिस्टम से होने वाले फायदे
एसपी ग्रामीण गौरव ग्रोवर ने बताया कि अभी तक किसी भी जिले में पुलिसकर्मियों की शिकायत को लेकर इस तरह का हाईटेक सिस्टम नहीं है। यह पहली बार है जब लखनऊ पुलिस इस सिस्टम को शुरु करने जा रही है। उन्होंने बताया कि अधिकतर पुलिस वालों को टीए, डीए, कैरेक्टर, प्रमोशन, मेडिकल भत्ते सहित अन्य दिक्कते आती रहती है। इसके लिए उनको पुलिस आफिस दौडऩा पड़ता है। इस सिस्टम की मदद से पुलिस वालों को दौडऩा नहीं पड़ेगा। वहीं इस सिस्टम पर आने वाली सभी शिकायतों के निस्तारण की समीक्षा हर हफ्ते सीओ एकाउंट और सीओ आफिस करेंगे, जबकि वह खुद हर 15 दिन के बाद इसकी समीक्षा करेंगे।