डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ किसानों ने मंगलवार को सुबह नौ बजे से 12 बजे तक समराला में लुधियाना-चंडीगढ़ मार्ग जाम कर दिया। इस दौरान इस मार्ग पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया। किसान ट्रैक्टरों पर समराला पहुंचे। किसानों ने एक हजार से अधिक ट्रैक्टरों की चाबियां समराला के एसडीएम को सौंपी। किसानाें के प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी। जाम को देखते हुए यातायात को डायवर्ट कर दिया गया था।
किसान संगठनों ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में आज चंडीगढ-लुधियाना हाईवे पर पहुंचे। किसानों ने अपने आंदोलन की घोषणा पहले ही कर रखी थी। किसान मंगलवार सुबह समराला में लुधियाना चंडीगढ़ हाईवे पर पहुंचे और जाम लगा दिया। किसानों ने इस दौरान सुबह नौ बजे से 12 बजे तक हाईवे को जाम रखा। किसानों ने जमकर नारेबाजी की और पेट्रोल -डीजल की कीमत घटाने की मांग की।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। चंडीगढ़ – लुधियाना के बीच रूट को भी डाइवर्ट कर दिया गया था। भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा डीजल महंगी होने से किसानों में सख्त नाराजगी है। धान की रोपाई शुरू होनी है और डीजल के दाम बढ़ाकर किसानों की रीढ़ तोड़ी जा रही है। इसलिए किसानों ने अपने ट्रैक्टरों को एसडीएम समराला के माध्यम से सरकार के हवाले कर खेती से हाथ खड़े कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीजल की कीमतों को बाजार के हवाले करके केंद्र सरकार ने पिछले चार साल में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये कमाया है। बड़े घरानों की तेल रिफाइनरियों को मुनाफा कमाकर दिया जा रहा है।
1 जून से 10 जून तक दूध और सब्जियों की सप्लाई बंद करने की तैयारियों के लिए किसानों ने गांव-गांव में मुनादी के जरिए किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन राजेवाल समेत पंजाब के तमाम किसान संगठन इस मुद्दे को लेकर एक मंच पर हैं। यह आंदोलन देशभर में छेड़ा जा रहा है। किसानों ने 1 जून से 10 जून तक शहरों में जहां दूध और सब्जियों की सप्लाई पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया है।
संगठनों ने कहा है कि किसान इन 10 दिनों में शहरों से कोई चीज नहीं खरीदेंगे। भाकियू प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हमारा मकसद लोगों को परेशान करना नहीं बल्कि सोई हुई सरकार को जगाना है। मुहिम के नेतृत्वकर्ता प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री दविंदर शर्मा ने बताया कि किसानों की सबसे बड़ी मांग उन्हें 18 हजार रुपये महीना आय सुनिश्चित करवाना है।
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