लखनऊ , 6 दिसम्बर राजधानी पुलिस एक बार फिर शहर में होने वाले प्रदर्शन की तैयारियों को लेकर नाकाम रही। बुधवार को अटेवा संगठन के प्रदर्शन के दौरान जो कुछ भी हुआ उसने तो पुलिस व प्रशासन को ही कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। शिक्षक राम आशीष सिंह की मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है? अटेवा संगठन का प्रदर्शन जब लक्ष्मण मेला मैदान में चल रहा था तो उनको हजरतगंज तक जाने की अनुमति किसने और क्यों दी? सवाल उठने लगा है कि पुलिस की मौजूदगी में संगठन के लोग कैसे विधानभवन तक पहुंच गये।
इसके पहले भी लक्ष्मण मेला मैदान में प्रदर्शन के दौरान जब भी प्रदर्शनकारियों ने आगे बढऩे की कोशिश की तो हमेशा उनको वहीं रोक दिया जाता था, पर बुधवार को पुलिस ऐसा करने में नाकाम रही। वहीं दूसरी तरफ जब प्रदर्शनकारी गांधी प्रतिमा की तरफ से वापस लौट रहे थे तो पुलिस को उन पर लाठीचार्ज करने की क्या आवश्यकता पड़ गयी? प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आये शिक्षिकों का आरोप है कि वह लोग शांति से वापस लक्ष्मण मेला मैदान की तरफ जा रहे थे कि अचानक शक्तिभवन के सामने नशे में धूत कुछ पुलिस वालों ने उनपर अपराधियों की तरह लाठियां चला दीं। सिर्फ इतना ही नहीं पुलिस वालों ने इस शिक्षकों को मां-बहन की गालियां देते हुए लात व घूसों से भी मारापीटा।
जिस भी पुलिसकर्मी के सामने कोई शिक्षक पड़ा उसको बड़ी बेरहमी से पीटा गया। शिक्षकों का आरोप है कि उन लोगों की गलती क्या थी जो पुलिस ने इस तरह उन पर लाठीचार्ज किया। अगर उन लोगों से कोई गलती हुई भी थी तो पुलिस को उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए इस तरह लाठीचार्ज करने का अधिकार उनके पास नहीं है। यह कोई पहली बार नहीं है इससे पहले भी कई बार पुलिस व एलआईयू की चूक की वजह से प्रदर्शन के दौरान उपद्रव हुआ है। चंद माह पहले विधानभवन के सामने बीपीएड डिग्री धारकों ने जमकर बवाल काटा था।
पुलिस उस वक्त इस बात का अंदाज ही नहीं कर सकी थी कि बीपीएड डिग्री धारकों की पूरी फौज जमा हो जायेगी। इसके चलते वहां जमकर तोडफ़ोड़ व आगजनी की गयी थी। इस मामले में उस वक्त के आईजी व डीआईजी ने तो हजरतगंज पुलिस व एलआईयू की नाकामयाबी पर सवाल खड़े किये थे और जांच के आदेश भी दिये गये थे पर समय के गुजरने के बाद मामला दब गया और अधिकारी उस घटना को भूल गये।
एलआईयू ने पहले ही पुलिस व प्रशासन को चेताया था अटेवा के इस प्रदर्शन में उपद्रव को लेकर एलआईयू ने पहले ही पुलिस व प्रशासन को चेताया था। एलआईयू ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अटेवा की इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोग शामिल हो सकते हैं। यहां तक की
पुलिस से भी इनका टकराव हो सकता है। एलआईयू ने पुलिस व प्रशासन को अटेवा के इस प्रदर्शन को लेकर पहले से ही तैयारियां पूरी करने के लिए कहा गया था। बावजूद इसके पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने एलआईयू के इंपुट को गंभीरता से नहीं लिया और नतीजा सामने रहा।
डाक्टरों का पैनल करेगा पोस्टमार्टम शिक्षक रामआशीष की मौत के मामले में एसएसपी ने उनके शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के एक पैनल से कराने का आदेश दिया है। एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया कि रामआशीष के पूरे शरीर पर किसी तरह की कोई चोट का निशान नहीं पाया गया है। उनकी मौत कैसे हुई इसको जानने के लिए डाक्टरों का एक पैनल गठित कर पोस्टमार्टम कराया जायेगा। वहीं सिविल अस्पताल में मौजूद डाक्टरों की माने तो शिक्षक की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई है।