इस समय दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित कर्नाटक भवन दक्षिण भारत के कांग्रेस नेताओं का सबसे पसंदीदा ठिकाना बना हुआ है।
जनता दल (सेक्युलर)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के बुधवार को प्रस्तावित कैबिनेट विस्तार से पहले मंत्री पद पाने की चाहत में 20 से ज्यादा विधायक और एमएलसी पार्टी हाई कमांड के सामने अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
गठबंधन सहयोगियों के बीच बनी आपसी सहमति के मुताबिक 34 संभावित मंत्री पदों में से कांग्रेस को 22 पद मिलने की उम्मीद है।
मंत्री पद पाने के रेस में जो प्रमुख कांग्रेसी विधायक राजधानी में मौजूद हैं उनमें दिनेश गुंडू राव, कृष्णा बायरे गौड़ा, आरवी देशपांडे, ईश्वर खंडरे, अजय सिंह, विजय सिंह, राजशेखर पाटिल और उमेश जाधव शामिल हैं।
इसके साथ ही इस समय कांग्रेस खेमे में कुछ अनिश्चितता और तनाव भी है। खासतौर से इस बात को लेकर कि उत्तर और दक्षिण कर्नाटक के नेताओं के बीच में मंत्री पदों का बटवारा कैसे किया जाएगा।
उत्तर कर्नाटक के एक वरिष्ठ कांग्रेस विधायक ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “उत्तर कर्नाटक के विधायकों को कैबिनेट पदों में एक बड़ा हिस्सा दिया जाना चाहिए। वीरशैव-लिंगायतों की अनदेखी से पार्टी को चुनाव में काफी हद तक नुकसान हुआ है और मुझे उम्मीद है कि हाई कमांड इस मुद्दे पर ध्यान देगा।”
कांग्रेस खेमे में क्यों है तनाव?
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष एसआर पाटिल ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पाटिन ने जहां कहा कि वह 12 मई के विधानसभा चुनावों में पार्टी के कम सीट जीतने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं, वहीं उनकी पार्टी के सहयोगी और हंगड़ से पूर्व विधायक विजयआनंद काशप्पनवार ने आरोप लगाया कि पाटिल किसी मंत्री पद की तैयारी कर रहे हैं।
काशप्पनवार ने कहा, “क्या उन्हें नैतिक जिम्मेदारी का एहसास करने में करीब तीन हफ्ते लग गए? यह जानते हुए कि उन्हें पद मिलने की संभावना नहीं है, उनका इस्तीफा देना पार्टी हाई कमांड पर दबाव डालना है। मुझे यकीन है कि पार्टी हाई कमांड इन चुनावों में अपने सहयोगियों की हार के लिए काम करने वालों की बजाय पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं को पुरस्कार देगी।”
कांग्रेस के विधायक मंत्री पद के लिए अपना पूरा जोर लगा रहे हैं वहीं भाजपा इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।
पूर्व उप-मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता के एस ईश्वरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडी (एस) के बीच “नापाक गठबंधन सत्ता के लालच में खुद-ब-खुद टूट जाएगा।”
कांग्रेस ने भाजपा के बयान पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की। उगरप्पा ने कहा, “अगर भाजपा सोचती है कि वह अनैतिक तरीकों से किसी भी तरह सत्ता में आ सकती है, तो वह मुगालते में है। हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन भाजपा को इसका फायदा नहीं मिल पाएगा।”