मुंबई : हाल में कर्नाटक में भाजपा विरोध दलों के एकजुट होने के बाद और यूपी के कैराना और नूरपुर चुनाव मेें मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने मंथ और चिंतन दोनों शुरू कर दिया है। अब बीजेपी रूठे हुए सहयोगियों को मनाने में लग गई है। संपर्क फॉर समर्थन अभियान के तहत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अब शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से उनके निवास पर बुधवार को मुलाकात करेंगे।
अमित शाह की यह मुलाकात इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि शिवसेना ने कहा है कि वह 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि अमित शाह रूठे ठाकरे को मनाने की कोशिश करेंगे। इस मुलाकात में दोनों नेता 2019 चुनावों से पहले गठबंधन की संभावनाओं के बारे में चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि काफी समय से दोनों पार्टियों के तनातनी बनी हुई है। उद्धव ठाकरे लोकसभा चुनाव अकेले लडऩे की बात कह चुके हैं। यहां तक कि सोमवार को ही शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को शिवसेना को बीजेपी का सबसे बड़ा राजनीतिक शत्रु बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी नहीं चाहिए लेकिन देश कांग्रेस या जेडी नेता एचडी देवगौड़ा को स्वीकार कर सकता है।
दरअसल गठबंधन के साथी शिवसेना और बीजेपी ने बीते दिनों राज्य की पालघर विधानसभा में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। बता दें कि बीते साल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सार्वजनिक रूप से बीजेपी से उपजे मतभेदों के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने की बात कही थी।
ऐसे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर जोर दिया है। सोमवार को महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फ डणवीस ने भी लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना से गठबंधन की वकालत की थी। फडणवीस ने बीजेपी के पदाधिकारियों से शिवसेना के साथ गठबंधन की पहल करने का अनुरोध किया।
हालांकि बीजेपी की ओर से शिवसेना के लिए दरवाजे कभी बंद नहीं किए गए। अप्रैल में मुंबई में महारैली के बाद अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद भी अपने सहयोगियों को अपने साथ रखा है। उन्होंने ठाकरे के लोकसभा चुनाव मे अकेले जाने के दावे की प्रतिक्रिया में कहा था कि वह शिवसेना सरकार में हैं और उनकी इच्छा है कि बीजेपी के साथ ही रहे।