चेन्नई। इसी साल अक्टूबर में पादी (बाहरी चेन्नई में मौजूद इलाका) में रहने वाले बाबू के बेटे प्रगनंधा ने अपना नाम दुनिया के सबसे छोटे इंटरनेशनल मास्टर ग्रैंडमास्टर के तौर पर दर्ज करवाया है। इसके बाद से प्रगनंधा पर तोहफों की बरसात शुरू हो गई है। मगर इन बातों से दूर प्रगनंधा तो अपनी सायकल में मस्त है। पादी स्थित अपार्टमेंट का नजारा तो कुछ ऐसा ही है। यह वो जगह है जहां पर दुनिया का सबसे छोटा मास्टर प्रगनंधा अपने पिता बाबू, मां नागलक्ष्मी और बहन आर.वैशाली के साथ रहता है।
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बाबू बोलते हैं,’यह सायकल भी एक परेशानी ही है।’ लेकिन प्रग को इस बात से कोई वास्ता नहीं है। वो अपनी सायकल उठाकर निकल पड़ा है। यह देख बाबू कहते हैं, ‘वो कभी एक जगह बैठता ही नहीं है। यह उसकी उम्र है तो हम भी मजे करने देते हैं।’ शायद बाबू जानते हैं कि उनका बेटा प्रग अपनी किस्मत खुद लाया है। हाल ही में सबसे छोटा इंटरनेशनल मास्टर बनने के बाद प्रग की निगाहें अब ग्रैंडमास्टर का खिताब पाने की है।
पिता बाबू ने बताया, ‘प्रग तो इस बात को लेकर किसी तरह का तनाव नहीं लेता है। हां, हम लोग जरूर लेते हैं। इसका कारण उसकी एक उम्र है।’ बातों के बीच प्रग एक बार फिर लौट आया है। उसकी सायकल मिट्टी से सनी हुई है। हालांकि इस बार उसने गार्डन में ही सायकल रख दी है।
प्रग के चेहरे को देखने पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसे किसी तरह का कोई तनाव नहीं है। इस पर बाबू (उसके पिता) कहते हैं ‘वो हमेशा ऐसा ही रहता है। उसे कोई चिंता नहीं रहती।’ दूसरी तरफ प्रग ने भी सारे जोड़-घटाव कर रखे हैं। मसलन उसकी उम्र 11 साल, 3 महीने और 4 दिन की है। जबकि मुकाबला रशियन खिलाड़ी एस. कर्जिकन से है। कारण कि उसने यह खिताब 12 साल और 7 महीने की उम्र में पा लिया था। प्रग के पास अभी भी 11 महीने का समय है।
इस बारे में प्रग कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि मैं 12 साल का होने के पहले ही यह खिताब हासिल कर लूंगा।’ आपको बता दें कि भारत के पहले ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने यह कारनामा 18 साल की उम्र में किया था। इसके बाद परिमार्जन नेगी ने यह खिताब 13 साल की आयु में पा लिया था। वो दुनिया के सबसे छोटे ग्रैंडमास्टर बने।
प्रग बताते हैं, ‘मैं अगले साल अगस्त के पहले पांच से छह टूर्नामेंट में खेलूंगा। फिलहाल मेरी फिडे रैंकिंग 2,455 (इलो पाइंट्स) है। यदि मैं अगले तीन टूर्नामेंट अच्छे से खेलता हूं तो मार्च के पहले मेरे कुल पाइंट्स 2500 हाे जाएंगे।’ ग्रैंडमास्टर का स्टेटस हासिल करने के लिए प्रग को 2600 पाइंट्स प्राप्त करने के साथ ही टूर्नामेंट में अपने परफॉर्मेंस पर भी ध्यान देना होगा।
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प्रगनंधा की मां नागलक्ष्मी बताती हैं, ‘वो अपनी हार-जीत का रिकॉर्ड रखता है। उसे तो घर पर भी एक मैच हारना पसंद नहीं है। वो ज्यादातर समय अपने प्रतिद्वंदियों को यूट्यूब पर देखते हुए बिताता है। इसके अलावा शतरंज की दूसरी वेबसाइट्स भी देखता है। अपनी बहन आर.वैशाली से सारी बातें समझता है। फिर अपने कोच आर.बी. रमेश के साथ इस पर बात भी करता है।’