निजी इलेक्ट्रिक कारों पर मिलने वाली सब्सिडी को सरकार खत्म करने जा रही है. दूसरी तरफ, सरकार ओला और उबर जैसी कैब सेवाओं को इलेक्ट्रिक कारों पर नकद सब्सिडी देने की तैयारी कर रही है.
देश में स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहित करने की बात होती रही है, ऐसे में सरकार का यह कदम चौंकाने वाला हो सकता है. इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री वैसे भी काफी कम रही है, ऐसे में अगर प्रोत्साहन बंद हुआ तो इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में भारी गिरावट आ सकती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, निजी इलेक्ट्रिक कारों पर नगद सब्सिडी खत्म करने का कई जानकार समर्थन कर रहे हैं. उनका तर्क है कि सरकार ने अब ओला और उबर जैसी साझी गाड़ियां रखने वाली सेवाओं को नकद सब्सिडी देने का निर्णय लिया है.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार ने निजी इलेक्ट्रिक कारों पर इसलिए सब्सिडी हटाने का फैसला किया है, क्योंकि इससे न तो इन कारों की बिक्री बढ़ रही है और न ही पर्यावरण को स्वच्छ करने का उद्देश्य पूरा हो रहा है. उनका तर्क है कि निजी इलेक्ट्रिक कारें बहुत कम चल रही हैं.
1.3 लाख रुपये तक की मिलती है छूट
सरकार को अब लगता है कि निजी कारों पर छूट देने की जगह ओला और उबर जैसी कैब सेवाओं को छूट देने से ज्यादा कारें बिकेंगी और इसका लाभ मिलेगा.
गौरतलब है कि देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देकर पेट्रोल-डीजल के इस्तेमाल को कम किया जा सकता है.
पहले सरकार ने यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था कि साल 2030 तक पूरी तरह से कार इंडस्ट्री को इलेक्ट्रिक में बदल दिया जाए. लेकिन इन कारों की बिक्री अभी बहुत परवान नहीं चढ़ पाई है. पिछले साल सिर्फ 1,500 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं, जबकि पेट्रोल, डीजल और सीएनजी कारों की बिक्री 32 लाख तक हुई थी.