घाटी में आतंकवादियों के साथ टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में कथित तौर पर शामिल अलगाववादी नेताओं की अब खैर नहीं है। जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार अब इन अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसने की तैयारी में जुट गई है। राज्यपाल शासन लागू होने के बाद केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में इस पर एक एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। एनआइए और ईडी मिलकर इस काम काे अंजाम देंगे।
क्या है मास्टर प्लान
घाटी में अलगाववादियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी नीति का विस्तार किया है। इसके लिए अब सरकार ने अपनी 4D नीति तैयार की है। इसके पहले 2D डिफेंड और डिस्ट्रॉय की नीति को आगे बढ़ाते हुए अब केंद्र ने तीसरे D यानि डिफीट और चौथा D डीनाई के तहत पाकिस्तान से फंडिंग पूरी तरह से बंद करने के लिए और सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। इसके पीछे सरकार की मंशा हुर्रियत नेताओं की अलगावादी सोच को युवाओं तक पहुंचने से पहले ही पस्त करने की है।
इस चार्जशीट में नंबर एक पर मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद है। दो पर हिज्बुल मुजाहिद्दीन का चीफ सैयद सलाहुद्दीन हैं। तीसरे नंबर पर हुर्रियत कांफ्रेंस के मीडिया विंग का प्रमुख आफताब अहमद शाह है। चौथे नंबर पर हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश का नाम है। एनआईए के मुताबिक़ टेरर फंडिंग के लिए हवाला के जरिए खाड़ी देशों के रास्ते पैसा आता था। हवाला ऑपरेटर पैसे को अलगाववादी, आतंकी तक पहुंचाते थे, जहां से पैसे पत्थरबाजों तक पहुंचते थे। इस खेल में क्रॉस एलओसी ट्रेड में जुटे कारोबारी भी शामिल हैं।