पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की वर्षा जल संरक्षण की मुहिम को सचिवालय में ही पलीता लग रहा है। दरअसल, वर्षा जल को सहेजने के लिए जल संस्थान को सचिवालय में तीन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाने की इजाजत तो दे दी गई। लेकिन, जल संस्थान की मानें तो जब-जब निर्माण शुरू हो रहा है कोई न कोई अड़ंगा लगाया जा रहा है।
सहयोग नहीं मिलने से निर्माण में लगातार देरी हो रही है। जिसके चलते इस मानसून सीजन में वर्षा जल को सहेजने की उम्मीद भी टूट गई है।
दरअसल, प्रदेश सरकार की वर्षा जल संरक्षण मुहिम के तहत जल संस्थान वाटर हार्वेस्टिंग टैंक निर्माण कर रहा है। इसके तहत राजकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाकर वर्षा जल सहेजा जाएगा।
कार्यक्रम के तहत जल संस्थान को सचिवालय में तीन टैंक बनाने की अनुमति दी गई थी। एक महीने पहले टैंक का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। अब जैसे-जैसे कार्य में गति आ रही है अचानक सचिवालय प्रशासन कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
ठेकेदार दिन में सचिवालय के बाहर मार्ग पर वाहनों के दबाव के कारण निर्माण कार्य शाम के बाद करने को मजबूर हैं, लेकिन अब सचिवालय प्रशासन रात में निर्माण पर आपत्ति जता रहा है। इससे कार्य बाधित हो रहा है। सूत्रों की मानें तो कुछ दिन पहले यह मामला सचिवालय प्रशासन के सचिव हरबंश चुघ तक भी पहुंच चुका है।
जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि राजकीय भवनों में निर्माण की स्थिति में वे कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि निर्माण स्थल बाहरी संपत्ति होता है। ऐसे में विभाग का निर्माण कार्य अधर में पड़ जाता है।
अपर सचिव पेयजल अर्जुन सिंह के मुताबिक मैं अभी अवकाश पर हूं। अभी ऐसी कोई जानकारी नहीं है। मामले की जानकारी ली जाएगी। यदि निर्माण में वास्तव में कोई समस्या होगी तो इसका समाधान कर लिया जाएगा।