टाटा के स्वामित्व वाली जगुआर लैंड रोवर (JLR) ब्रिटेन से अपना कारोबार समेट सकती है. क्योंकि ब्रैक्जिट (Brexit) कानून लागू होने से उसे अतिरिक्त 1.59 अरब डॉलर सालाना खर्च करने पड़ेंगे. ब्रैक्जिट कानून के तहत ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन (ईयू) से अलग हो जाएगा. इससे ईयू में कारोबार करने वाली ब्रिटिश व अन्य कंपनियों के लिए संकट खड़ा हो सकता है. जेएलआर के सीईओ राल्फ स्पेठ ने कहा कि इस कानून के लागू होने से उसके मुनाफे पर नकारात्मक असर पड़ेगा. कंपनी ने बीते 5 साल में 50 अरब पौंड का ब्रिटेन में निवेश किया है. उसकी योजना 5 साल में 80 अरब पौंड खर्च करने की थी. लेकिन अब यह रकम लगाने में जोखिम है. कंपनी को अंदेशा है कि इस कानून के लागू होने से नए तरह के शुल्क लागू हो जाएंगे, जो कारोबार पर असर डालेंगे.
विदेश में जगुआर व लैंड रोवर की भारी मांग
जेएलआर ब्रिटेन में सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है. बाहर बेची जाने वाली 3 में से 1 कार जगुआर या लैंड रोवर है. 2017 में 6,21,000 कार में से 80 फीसदी कारें विदेश में बिकीं. इनमें 20 फीसदी बिक्री अकेले यूरोप में हुई. लेकिन ब्रैक्जिट कानून से जगुआर के लिए यूरोप में कार बेचना किसी सिरदर्दी से कम नहीं रह गया है. क्योंकि वह कार के 40 फीसदी आयातित पार्ट यूरोप से ही खरीदती थी. कंपनी ने ब्रिटेन सरकार से दरख्वास्त की है कि कानून लागू होने के बाद शुल्क में क्या-क्या बदलाव होंगे उसकी जानकारी दी जाए. स्पेठ ने कहा कि अगर कंपनी को शुल्क मुक्त कारोबार की छूट नहीं मिली तो भविष्य अनिश्चित हो जाएगा.
एयरबस और सीमेंस ने भी बनाया दबाव
जेएलआर से पहले एयरबस और सीमेंस का भी ऐसा ही बयान आया था. अब तीनों कंपनियां साथ मिलकर ब्रिटेन सरकार पर ब्रैक्जिट को लेकर दबाव बना रही हैं. ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक बीएमडब्ल्यू ने भी कहा था कि अगर ब्रैक्जिट से कारोबार में मुश्किल आई तो वह अपना कारोबार वहां से समेट लेगी. स्पेठ ने कहा कि अगर ब्रिटेन का ऑटो उद्योग वैश्किव स्तर पर अपनी प्रतिद्वंद्विता बरकरार रखना चाहता है तो उसे उद्योग के लिए शुल्क मुक्त कारोबार का प्रावधान रखना होगा. स्पेठ के मुताबिक इस नए कानून से ब्रिटेन के ऑटोमोटिव उद्योग से जुड़ीं 3 लाख नौकरियों पर संकट खड़ा हो गया है