सार्वजनिक स्थलों पर बेबी फीडिंग और चाइल्ड केयर रूम को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला और बाल विकास मंत्रालय, दिल्ली सरकार और निकायों से जवाब मांगा है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और सी हरि शंकर ने बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के साथ अन्य संबंधित महकमों-एजेंसियों से एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है। यह जवाब कोर्ट ने उस याचिका पर मांगा है, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर बेबी फीडिंग और चाइल्ड केयर सेंटर की मांग की गई है।
यह याचिका 9 महीने के मासूम अव्यान की ओर उसकी मां नेहा रस्तोगी ने दायर की है। उनकी ओर से दायर याचिका में मांग की गई है कि पूरे देश में मांओं को बेबी फीडिंग की सुविधा मुहैया कराई जाए। अब मामले में 28 अगस्त को सुनवाई होगी।
बच्चे को दूध पिलाना एक महिला का अधिकार
याचिका को लेकर बेंच ने सरकारी एजेंसियों से पूछा है कि पूरी दुनिया में बेबी फीडिंग रूम उपलब्ध करवाया जाता है, तो क्यों नहीं भारत में ऐसा किया जा सकता है। बच्चे को दूध पिलाना एक महिला का अधिकार है और उसके लिए निजता जरूरी है।
पीठ ने कहा कि मामले को भूमि का स्वामित्व रखने वाली सभी एजेंसियां और नगर निकाय इस पर विचार करें। वहीं, कोर्ट याचिका के मद्देनजर नगर निगमों, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी किया, क्योंकि जमीन स्वामित्व का अधिकार इनके पास है।
कोर्ट ने विदेशों का हवाला देते हुए कहा कि यहां हवाई अड्डों पर भी बच्चों को स्तनपान कराने की सुविधा नहीं है। कोर्ट ने इस मामले को निपटाने के लिए सभी प्राधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई पर चार हफ्ते में रिपोर्ट देने को भी कहा है।
यह है पूरा मामला
पेशे से वकील नेहा रस्तोगी व उनके 9 महीने के बेटे अव्यान ने वकील अनिमेश रस्तोगी के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर बच्चों को स्तनपान कराने की सुविधा होनी चाहिए। बच्चे को सार्वजनिक स्थान पर स्तनपान कराने के दौरान लोग अजीब तरह से देखते हैं। अगर हम इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराते हैं तो यह महिलाओं के निजता के अधिकार में बाधा होगा।