आप सभी इस बात से बखूबी वाकिफ होंगे कि इस साल गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई को मनाई जाने वाली है. यह त्यौहार उन सभी के लिए है जो अपने गुरु को मानते हैं. गुरु का अर्थ शास्त्रों में बहुत ही सुंदरता से बताया गया है. शास्त्रों में गु का अर्थ अंधकार या मूल अज्ञान है वहीं रु का अर्थ उसका निरोधक है. गुरु को गुरु इस वजह से कहा जाता है क्योंकि वह अपने शिष्य में अन्धकार को हटाकर उजाला भरता है और वह उसमे अन्धकार को रहने नहीं देता. गुरु दो अक्षरों से मिलकर बना है और यह अपने आपमें बहुत महत्वपूर्ण है. इस शब्द की महत्ता सबसे ऊपर और सबसे अलग होती है.
गुरु की भूमिका को जानने के लिए आप अध्यात्म का सहारा ले सकते हैं या फिर धार्मिक किताबों का. आप सभी ने बहुत बार धार्मिक किताबों में, कहानियों में गुरु के बारे में सुना ही होगा. भगवान के भी गुरु हुआ करते थे जो उन्हें सही मार्ग दिखाते थे. गुरु की महिमा को आप धर्म के अनुसार पहचान सकते हैं. गुरु को देवता का पद दिया जाता है और उनके अर्थ को समझाने के लिए यह श्लोक काफी है ‘यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरु’.
आपको बता दें कि गुरु की कृपा आप पर तब ही होगी जब आप अपने गुरु को उतना महत्व देंगे जितने के वह हकदार हैं. गुरु की कृपा के बिना जीवन अधूरा है और उनकी कृपा के बिना कुछ संभव नहीं है. इस वजह से कहा जाता है –