नई दिल्ली। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तगड़ा झटका देते हुए उनके द्वारा 2017 में लागू की गई न्यूनतम वेतन की अधिसूचना खारिज कर दी है। इसके साथ ही न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति बनाने के लिए जारी की गई अधिसूचना को भी गलत बताया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गरिमा मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि सरकार के दोनों ही निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। यह निर्णय लेते समय पर्याप्त संसाधन भी ध्यान में नहीं रखे गए।
बता दें कि दिल्ली सरकार ने दो अधिसूचनाएं जारी की थी। एक के जरिये न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति बनाने के लिए कहा गया था। दूसरी में न्यूनतम वेतन के संबंध में निर्देश दिए गए थे। इसके अनुसार, अकुशल कर्मचारी के लिए 13,500, अर्ध कुशल के 14,698 और कुशल कर्मचारी के लिए 16182 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन के रूप में तय किए गए थे। इन अधिसूचनाओं के बाद विभिन्न औद्योगिक इकाइयों की तरफ से अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई थीं, जिनमें आरोप लगाया गया था कि न्यूनतम वेतन तय करने से पहले उनका पक्ष नहीं सुना गया था।
आदेश पढ़कर रणनीति तय करेंगे: केजरीवाल
हाई कोर्ट के फैसले के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है कि हमने गरीब मजदूरों का वेतन बढ़ाकर बड़ी राहत दी थी। कोर्ट का आदेश पढ़कर आगे की रणनीति तय करेंगे। गरीबों को राहत दिलवाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। वहीं श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि जंग आगे भी जारी रहेगी।
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