दिल्ली असेंबली में ‘लंगड़ा’ का आतंक, उसके 500 साथियों को जुगाड़ से भगाएगी सरकार

बंदरों को भगाने के लिए लंगूर लाने की बात तो सभी ने सुनी होगी, लेकिन लंगूरों के उपयोग पर प्रतिबंध के चलते अब इनकी जगह इंसानों की तैनाती की जा रही है। दिल्ली विधानसभा में मानव लंगूर देखे जा सकते हैं। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक बंदर है ‘लगड़ा’, जो अपनी शरारतों से विधायकों को कई बार परेशान कर चुका है।

विधानसभा में बंदरों के अलग अलग झुंड आते हैं। सुरक्षा में तैनात विधानसभा का स्टाफ व पुलिस कर्मी भी इनसे डरते हैं। सुरक्षा में तैनात कर्मी बंदूक के साथ साथ लाठियां भी रखते हैं। कई बार बंदर इन पर हमला कर चुके हैं। क्योंकि विधानसभा सत्र समाप्त हो जाने के बाद भी सुरक्षा कर्मी ही हैं जो ड्यूटी पर विधानसभा में रहते हैं। इनमें लंगड़ा बंदर इतना शरारती है कि कई बार विधायकों को भी दौड़ा चुका है।

बंदरों से परेशान होकर दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता कुछ माह पहले विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख चुके हैं कि बंदरों को रोकने के लिए कोई रास्ता निकाला जाए। कुछ माह पहले बंदरों द्वारा दौड़ा लेने पर एक कर्मचारी के छत से गिर जाने पर उन्होंने बंदरों की समस्या का हल निकालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था।

विधायकों ने की थी बंदरों पर अंकुश लगाने की मांग
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सजावट की तैयारियों के तहत लाइटिंग के लिए बिजली की लड़ियां लगा रहे कर्मचारी को बंदरों ने दौड़ा दिया था, जिसमें कर्मचारी छत से नीचे गिर गया था। कुछ माह पहले सदन में चर्चा के दौरान भी एक लंगड़ा बंदर घुस गया था। जो सदन में बगैर किसी रोक टोक के विधायकों के बीच से होता हुआ इधर से उधर गुजर गया था। उस समय विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से बंदरों पर अंकुश लगाने के लिए मांग की थी।

विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बढ़ती जा इस समस्या को ध्यान में रखते हुए कुछ समय पहले लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। उन्होंने बंदरों की समस्या का समाधान निकालने के लिए कहा था। जिस पर विभाग ने मानव लंगूर तैनात किए जाने का सुझाव दिया था। उसके बाद सत्र के शुरू होने पर 6 बंदर विशेषज्ञों की तैनाती की गई है।

हमारी आवाज सुन कर बंदर आसपास भी नहीं टिक सकता

विधानसभा में बंदर भगा रहे मानव लंगूर रवि लंगूर ने बताया कि यहां पर 500 के करीब बंदर सक्रिय हैं। उनका दावा है कि उनकी आवाज सुन कर बंदर आसपास भी नहीं टिक सकता है। उसके पास दो दर्जन से अधिक बंदर विशेषज्ञों की टीम है। यहां पर छह लोगों को लगाया गया है। उन्होंने बताया कि बंदर भगाने के लिए पहले लंगूर रखते थे। मगर लंगूर पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से उनका काम धंधा चौपट हो गया था। जिस पर हम लोगों ने स्वयं ही लंगूर का काम करने का फैसला लिया। चूंकि लंबे समय से लंगूरों के बीच रहे थे इसलिए लंगूरों की आवाज निकालने में अधिक परेशानी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि लंगूर की आवाज निकालने वाले एक व्यक्ति को 500 रुपये एक दिन के मिलते हैं। ड्यूटी सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक रहती है। उन्होंने मांग की कि दिल्ली सरकार उन्हें नियमित कर काम दे। 

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com