भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की विधायकों को चेतावनी के सालभर बाद भी भारतीय जनता पार्टी के 80 विधायक ऐसे हैं, जिनकी परफॉरमेंस में खास सुधार नहीं आया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इन विधायकों से नवंबर में वन-टू-वन बात कर परफॉरमेंस सुधारने की आखिरी मोहलत दी थी।
चौहान ने सभी कमजोर विधायकों को छह महीने का वक्त जनता और कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतने के लिए दिया था। उन्होंने विधायकों को उनके इलाके की सर्वे रिपोर्ट भी बताई थी। इसके बावजूद परिस्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। ये हालात भाजपा की रिपोर्ट में ही सामने आए हैं। सीएम के स्तर पर भी अब तक तीन सर्वे हो चुके हैं। चौथा सर्वे जुलाई में करवाया है, जिसकी रिपोर्ट आने पर इनके टिकट पर निर्णय होगा।
गौरतलब है कि शाह के दौरे के वक्त विधायकों के परफॉर्मेंस पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इसमें बताया गया था कि लगभग 77 विधायक ऐसे हैं, जो अब चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं। भाजपा सूत्रों की मानें तो यह संख्या अब बढ़कर अब 80 तक पहुंच गई है।
पहले ही करा दिया था अवगत
सीएम ने वन-टू-वन बैठक में विधायकों को बताया था कि किस विधायक ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में दौरे कम किए, आम लोगों से संपर्क बनाकर नहीं रखा। कई गांव में तो वे लंबे समय से गए ही नहीं। उनके इलाके में कांग्रेस की स्थिति क्या है। दलित वोट बैंक विधायक से कितना नाराज है। अल्पसंख्यक वोटों में विधायक को लेकर किस तरह की नाराजगी है। एक-एक वर्ग से लेकर वार्ड-मोहल्ले और गांव में विधायक के कामकाज और कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय सहित आम जनता की नजर में उनकी छवि की रिपोर्ट से भी पार्टी ने उन्हें अवगत कराया था।
विधायकों से संतुष्ट नहीं हैं कार्यकर्ता
पार्टी ने विधायकों से कई बार कहा कि कार्यकताओं के साथ समन्वय बढ़ाएं। कई विधायकों के बारे में सर्वे रिपोर्ट में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने, मुलाकात नहीं करने सहित कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं। केंद्रीय नेताओं ने भी बार-बार विधायकों से कहा कि कार्यकर्ता नाराज रहेंगे तो आप किसके भरोसे चुनाव लड़ोगे। फिर भी ज्यादातर क्षेत्रों में कार्यकर्ता अपने विधायक से संतुष्ट नहीं हैं। पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे विधानसभा क्षेत्र के विधायकों को उनके क्षेत्र में बढ़ रहे बहुजन समाज पार्टी के प्रभाव से भी अवगत करवाया था। फिर भी हालात में बदलाव नहीं आया। 2 अप्रैल को बसपा के प्रभाव वाले इलाके में ही उपद्रव हुए थे।
टिकट पर संकट
वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जिन विधायकों की जमीनी रिपोर्ट ठीक नहीं है, उनके टिकट पर पार्टी प्रतिकूल निर्णय ले सकती है। पार्टी सूत्रों का मानना है कि इस बार वह सिर्फ जिताऊ प्रत्याशियों पर ही दांव लगाएगी।
संघ और संगठन मंत्री के पास भी फीडबैक ठीक नहीं
चुनाव में प्रत्याशी तय करने की कवायद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पहले ही शुरू कर चुका है। संघ ने अपने विभाग प्रचारकों के माध्यम से संभावित प्रत्याशियों के नाम बुलाए हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें भी कई विधायकों के नाम काटे गए हैं। इसके अलावा संभागीय संगठन मंत्री भी अपने स्तर पर विधायकों के प्रति क्षेत्र में मिजाज समझने में लगे हुए हैं। इसमें भी चार दर्जन से ज्यादा विधायकों का फीडबैक ठीक नहीं आया है।
नजर रखे हुए हैं
मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि सभी विधायकों के कामकाज पर मुख्यमंत्री नजर रखे हुए हैं। संगठन भी निरंतर विधायकों के कामकाज का आकलन करता रहता है। चुनाव का समय है, इसलिए हम प्रक्रिया साझा नहीं कर सकते।