घूसखोरों को पकड़ने में अब धन की कमी बाधक नहीं बनेगी। भ्रष्टाचार निवारण संगठन ही पीड़ितों को मांगी गई घूस की रकम देकर भ्रष्ट कर्मचारियों की धरपकड़ करेगा। इसके लिए शासन ने अलग से बजट जारी किया है। ट्रैप की रकम कोर्ट से छुड़वाने के बाद विवेचक उसे राजकोष में जमा करेंगे।
भ्रष्टाचार पर अंकुश न लग पाने का सबसे बड़ा कारण धन की कमी को माना गया दरअसल जिन लोगों से घूस मांगी जाती है, उन्हें भ्रष्टाचार निवारण संगठन से घूसखोर को पकड़वाने से पहले रकम का इंतजाम करना पड़ता। पैसों की कमी के चलते ज्यादातर लोग अपने कदम वापस खींच लेते थे क्योंकि अगर उधार लेकर किसी ने रकम की व्यवस्था कर भी ली तो यह रकम माल मुकदमे के रूप में जमा हो जाती थी। उसे छुड़ाने में वक्त लगता है और लोग परेशान हो जाते थे।
अब धन की कमी भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कभी आड़े नहीं आएगी। शासन ने प्रथम चरण में करीब छह लाख रुपये जारी किए हैं जो पूरे प्रदेश में विभिन्न ट्रैप में काम आएंगे।
आधे घंटे में खत्म हो जाता केमिकल का असर
ट्रैप से पहले एंटी करप्शन टीम नोटों पर फिनाफ्थलीन पाउडर लगाती है। नोटों को हाथ में लेते ही पाउडर संबंधित आदमी के हाथ में आता है और पानी में डालते ही हाथ गुलाबी हो जाता है। इस पाउडर का असर आधे से एक घंटे के बीच रहता है। इसके बाद केमिकल बेअसर हो जाता है।
”गरीब लोग पैसों की कमी के चलते ही भ्रष्ट कर्मचारियों की शिकायत एंटी करप्शन में नहीं कर पाते थे। अब लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। पैसे विभाग खुद देगा यकीनन इससे भ्रष्टाचार मिटाने में काफी मदद मिलेगी। – राजीव मल्होत्रा, एसपी भ्रष्टाचार निवारण संगठन, लखनऊ
हाल में रिश्वत लेते पकड़े गए
1-पिछले माह सिकंदरा में संदलपुर सबस्टेशन का जेई घूस लेते पकड़ा।
2-पिछले माह रूरा में लेखपाल को पांच हजार रुपये घूस लेते पकड़ा।
3-एक माह पूर्व मोतीझील के पास जलकल विभाग के ऑडीटर को पकड़ा।
4-जनवरी में भोगनीपुर थाने के दारोगा को रिश्वत लेते पकड़ा गया