लंदन। एक अध्ययन में पाया गया है कि नीली रोशनी के संपर्क में रहने से रक्तचाप कम होता है जिससे हृदय रोग का खतरा भी कम हो जाता है। यूरोपीयन जर्नल ऑफ प्रीवेन्टेटिव कॉर्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के लिए प्रतिभागियों का पूरा शरीर 30 मिनट तक करीब 450 नैनोमीटर पर नीली रोशनी के संपर्क में रहा जो दिन में मिलने वाली सूरज की रोशनी के बराबर है।

इस दौरान दोनों प्रकाश के विकिरण के प्रभाव का आकलन किया गया और प्रतिभागियों का रक्तचाप, धमनियों का कड़ापन, रक्त वाहिका का फैलाव और रक्त प्लाज्मा का स्तर मापा गया। पराबैगनी किरणों के विपरीत नीली किरणें कैंसरकारी नहीं हैं। ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय और जर्मनी के हेनरिक हैनी विश्वविद्यालय डसेलडार्फ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि पूरे शरीर के नीली रोशनी के संपर्क में रहने के चलते प्रतिभागियों के सिस्टोलिक उच्च रक्तचाप तकरीबन 8 एमएमएचजी कम हो गया जबकि सामान्य रोशनी पर इस तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
नीले प्रकाश से रक्तचाप में कमी कुछ उसी प्रकार है जैसी दवाइयों के जरिये रक्तचाप को कम किया जाता है। जब आपका रक्तचाप अस्वास्थ्यकर स्तर तक पहुंच जाता हैए तो यह उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है। हमारा दिल एक तरह की मसल्स है जो शरीर के चारों ओर खून पम्प करता है और हमारी पूरी बॉडी में ब्लड भेजता है।
हमारा दिल ऑक्सीजन से भरपूर ब्लड हमारी मांसपेशियों और सैल्स की आपूर्ति के लिए शरीर के चारों ओर पम्प करता हैए जोकि ब्लड प्रेशर का मुख्य कारण है। जब आप अपना ब्लड प्रेशर चैक कराते हैं तो इसमें यह ध्यान दिया जाता है कि आपकी रक्त वाहिकाओं के माध्यम से कितना खून गुजर रहा है और हृदय पंप होने पर रक्त की प्रतिरोध मात्रा कितनी है।
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