उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शिक्षामित्रों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही 69 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है. याचिकाकर्ताओं की दलील सुनकर ही जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस शान्तनुगौडार और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने याचिका खारिज की.
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बेसिक शिक्षा बोर्ड की ओर से पेश राकेश मिश्रा को कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ी. शिक्षामित्रों की ओर दलील रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि सिंगल जज बेंच ने हमारे दावे के समर्थन में निर्णय दिया था, लेकिन डिविजन ने हमारा पक्ष पूरी तरह नहीं सुना.
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मसला हमारे कॉन्ट्रैक्ट के रिन्युअल को लेकर भी है और नियुक्ति की प्रक्रिया में लगातार किए गए बदलाव पर भी. इस पर जस्टिल ललित ने पूछा कि कितने शिक्षामित्र नियुक्त हुए थे? जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 30 हजार, फिर सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय 69000 प्राथमिक शिक्षकों की नई भर्ती निकाली.
शिक्षामित्रों की ओर से दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि परीक्षा के बाद नया कटऑफ भी तय किया. इस पर जस्टिस ललित ने पूछा- कटऑफ विज्ञापन का हिस्सा था? इस पर रोहतगी ने कहा कि नहीं, 7 जनवरी को इम्तिहान होने के बाद न्यूनतम कटऑफ तय किया. 60-65% शिक्षकों के लिए जबकि शिक्षा मित्र के लिए ये 40-45 फीसदी था.
जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आपके दो सुझाव हैं कि बीएड कभी भी अर्हता नहीं थी और परीक्षा के बाद कटऑफ तय करना गलत. इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि शिक्षामित्रों को बहुत कम वेतन मिल रहा है. फिर जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आप चाहते हैं कि 45 फीसदी सामान्य के लिए और 40 फीसदी आरक्षित वर्ग के लिए किया जाए.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि जी, इससे कई लोगों को मौका मिलेगा. इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई.