महज छह माह की उम्र वाले कोरोना ने पूरी दुनिया में कारोबार ठप करके रखा है, लेकिन कोलकाता में कोरोना के नाम से 60 के दशक से कारोबार होता आ रहा है। कोरोना कोलकाता में सिर्फ वायरस नहीं, एक बड़ा ब्रांड भी है। यहां कोरोना नाम से एक नहीं, तीन-तीन पेट स्टोर हैं, जहां पालतू कुत्ते-बिल्लियों की जरुरत का सारा सामान एक छत के नीचे मिलता है। उनकी दवाइयां और वैक्सीन भी उपलब्ध हैं।
1957 में हुई थी शुरुआत
‘कोरोना’ के मैनेजर 28 साल के विक्रमजीत चट्टोपाध्याय ने बताया-‘1957 में सनत कुमार बसु रॉय नामक व्यक्ति ने न्यू मार्केट इलाके में ‘मेरठ स्पोर्ट्स’ नाम से एक स्पोर्ट्स गुड्स स्टोर की शुरुआत की थी।1960 में उनके पुत्र राम कृष्ण बसु रॉय ने स्टोर का नाम बदलकर ‘कोरोना’ रख दिया। उस समय कोरोना गोल्फ बैग का बड़ा ब्रांड था और इस स्टोर से देशभर में इसकी आपूर्ति की जाती थी।
मेरठ स्पोर्ट्स में पालतू कुत्ते-बिल्लियों की कुछ एक्सेसरीज भी मिलते थे। 1979 में रामकृष्ण बसु रॉय के निधन के बाद उनके बड़े बेटे उदय कृष्ण बसु रॉय ने स्टोर की जिम्मेदारी संभाली। उदय कृष्ण के कुछ समय के लिए विदेश चले जाने पर उनके छोटे भाई कुमार कृष्ण बसु रॉय ने स्टोर का दायित्व संभाला।
कुमार कृष्ण के नेतृत्व में कारोबार की प्रकृति भी बदल गई। स्पोर्ट्स गुड्स स्टोर से यह पूरी तरह पेट स्टोर में तब्दील हो गया और धीरे-धीरे कोरोना ने ब्रांड का रूप ले लिया। आज यह कोलकाता समेत पूर्वी भारत में पालतू कुत्ते-बिल्लियों की जरुरत के सामान का सबसे पुराना और प्रमुख ब्रांड है। आज कोरोना की क्लाइंट लिस्ट में सेना, अर्द्ध सैनिक बल, बीएसएफ, आरपीएफ, सीआइएसएफ, कोलकाता पुलिस इत्यादि शामिल हैं। यहां पालतू कुत्ते-बिल्लियों के फूड्स एवं सप्लीमेंट्स, ग्रूमिंग आइटम्स, ट्रेनिंग संबंधी उपकरण, खिलौने, ड्रेस इत्यादि उपलब्ध हैं।’
विक्रमजीत ने आगे कहा- ‘कोरोना वायरस का अस्तित्व मानव जाति की शुरुआत के समय से ही है। कोविड-19 इसका अलग रूप है, जो अभी विकसित हुआ है और बेहद संक्रामक है। बहुत कम लोगों को पता है कि कोरोना का एक अर्थ ‘पुष्प ताज’ भी है। हमारे यहां कुत्ते-बिल्लियों के ‘हेड टू टेल’ तक की जरुरत की सारी चीजें हैं इसलिए यह उनके लिए फूलों के ताज के समान है।
कोरोना के उत्पादों की महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर समेत विभिन्न राज्यों में आपूर्ति होती है। न्यू मार्केट के अलावा कोरोना के ईस्टर्न मेट्रोपोलिटन बाइपास और देशप्रिय पार्क में स्टोर हैं।’
कोरोना नाम के कारण आ रहे ढेरों फोन
विक्रमजीत ने बताया-‘स्टोर का नाम कोरोना होने के कारण इन दिनों हमें ढेरों फोन आ रहे हैं। कोई जिज्ञासावश फोन करता है तो कोई शरारत में। कुछ लोग फोन करके पूछते हैं कि आपकी दुकान का नाम कोरोना कैसे पड़ा तो कुछ मजाक में कहते हैं कि यह वायरस कहीं आपलोगों ने तो नहीं फैलाया। कुछ यह भी पूछ लेते हैं कि इसका वैक्सीन आपलोग तो नहीं बना रहे? हम इन कॉल को सहज ही ले रहे हैं।’