सराफा कारोबार पर ग्रहण बन कर टूटा कोरोना

सराफा कारोबार पर कोरोना ग्रहण बन कर टूटा है। सहालग के ठीक पहले लॉकडाउन हुआ। अन्य प्रतिष्ठानों की तरह सराफा बाजार में भी शटर गिर गए। पखवारे भर पहले इस कारोबार के संचालन को सशर्त अनुमति दी गई, लेकिन दुकानों में ग्राहकों की आमद न के बराबर है। दुकानें खुलने के बाद भी गहनों के खरीदारों की भारी कमी इस कारोबार से जुड़े व्यापारी महसूस कर रहे हैं। 15 अप्रैल से जून तक का समय सराफा कारोबार के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसी अवधि में हुए लंबे लॉकडाउन की वजह से सराफा बाजार ठंडा पड़ गया। जिले में दो हजार सराफा व्यापारी हैं, जिसमें करीब 450 व्यापारी गहनों का निर्माण और बिक्री करते हैं और अन्य व्यापारियों को आपूर्ति भी करते हैं। सराफा मंडल साकेत के महामंत्री नरेश अग्रवाल कहते हैं कि जिले में सराफा कारोबार को भारी घाटा हुआ है। दो माह की बंदी में जिले के सराफा करोबार को कम से कम दो सौ करोड़ का नुकसान हुआ है। लोग पहले खाद्यान्न सहेज रहे हैं। गहने जेवर की ओर ध्यान कम हैं। एक अनुमान की बात की जाए तो वर्तमान में सराफा कारोबार सिमट कर चार से पांच करोड़ ही रह गया है, इससे अधिक तो कतई नहीं होगा। कारोबार में घाटा होने की वजह से अपने श्रमिकों को लेकर भी व्यापारियों में चिता बढ़ती जा रही है। सराफा कारोबारी अमित सोनी कहते हैं कि दिल्ली, मुंबई से होने वाला कारोबार इन दिनों बंद है। सोने का मूल्य भी साफ नहीं हो रहा है। दिल्ली, मुंबई के व्यापारियों से संपर्क टूट गया है। प्रतिष्ठान पर कार्य करने वाले श्रमिकों की जीविका चलाना भी आवश्यक है। घाटे से मुकाबिल होते हुए सराफा व्यापारी कारोबार में लगे हुए हैं।

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श्रमिक न होने से परेशान हैं दिल्ली-मुंबई के व्यापारी

-नरेश अग्रवाल कहते हैं कि दिल्ली और मुंबई से गहनों की आपूर्ति होती थी। वहां करने वाले अधिकांश श्रमिक यूपी और बिहार के हैं, जो अब वापस आ चुके हैं। ऐसे में दिल्ली और मुंबई के व्यापारियों का कहना है कि श्रमिकों के अभाव में आभूषणों का उत्पादन प्रभावित है।

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