चार करोड़ की लागत से बना रेस्टोरेंट तकनीकी खामी के कारण पानी में डूबा….

टिहरी झील में चार करोड़ की लागत से बनाया गया एक आलीशान रेस्टोरेंट। देशी-विदेशी यात्रियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से इसे नाम दिया गया फ्लोटिंग मरीन। कोलकाता से लाए गए इस रेस्टोरेंट को बनाने में लागत आई लगभग चार करोड़ रुपये, लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि तीन साल में इस रेस्टोरेंट की कमाई हुई नाममात्र। बीते वर्ष यह रेस्टोरेंट तकनीकी खामी के कारण पानी में डूब गया। इस पर खूब हो-हल्ला मचा। एक वर्ष पहले इसकी जांच के भी निर्देश दिए गए, लेकिन यह अभी पूरी नहीं हो पाई है। इस रेस्टोरेंट से विवाद शुरुआत से ही जुड़े रहे। इसके निर्माण और खरीद का जिम्मा उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को दिया गया था। खरीद प्रक्रिया को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था। इसकी ऑडिट जांच भी हुई, लेकिन रिपोर्ट कभी भी सार्वजनिक नहीं हुई। रही सही कसर अब इसके डूब जाने से पूरी हो गई है।

अभी नहीं बने ट्रंचिंग ग्राउंड

चार साल पहले सरकार ने स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट लागू किया। निर्णय लिया गया कि हर निकाय में गीले व सूखे कूड़े के निस्तारण को ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाए जाएंगे। इसके लिए सभी नगर निकायों में जमीन चिह्नित करने के निर्देश दिए गए। जोर शोर से इसकी शुरुआत हुई लेकिन चार वर्ष गुजरने के बाद भी 37 निकायों में ट्रेंचिंग ग्राउंड नहीं बन पाए हैं। दरअसल, प्रदेश में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बना हुआ है। निकायों में बढ़ती आबादी के साथ ही कूड़े की मात्रा भी बढ़ रही है। ट्रंचिंग ग्राउंड न होने से कूड़ा निस्तारण में दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में शासन ने सभी निकायों को इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाने को कहा। इसके बाद इन 37 निकायों में जमीन तलाशी गई। अब यहां शेष काम कब शुरू होगा, यह सब भविष्य की गर्त में है।

मैं भी एक गांव योजना

हर गांव में सौ लोगों का समूह बनाकर उन्हें कृषि और उद्यान के सहायक उद्यमों के लिए 15 लाख तक का ऋण दिलाने की योजना। एक साल पहले इस योजना का खाका खींचा गया। इससे काफी भरोसा भी जगा। उम्मीद की गई कि यह योजना पलायन को रोकने में मददगार साबित हो सकती है। इतना ही नहीं, इससे प्रदेश में कृषि व उद्यान समेत अन्य गतिविधियों की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा सकेंगे। इसका पूरा खाका भी तैयार किया गया। सरकार ने इन समूहों को पशुपालन, मत्स्य पालन, मौन पालन व कुक्कुट पालन के लिए प्रेरित करने का सुझाव दिया। इस योजना में यह भी स्पष्ट किया गया था कि योजना पूरी तरह प्रदर्शन पर ही आधारित होगी। योजना का क्रियान्वयन समूह द्वारा खुद किया जाएगा और विकासखंड स्तर पर कार्यों की निगरानी भी की जाएगी। इतनी तैयारी के बावजूद अभी तक यह योजना शुरू नहीं हो पाई है।

ऑनलाइन टैक्सी संचालन को नियमावली

प्रदेश में ओला और उबर समेत अन्य ऑनलाइन बुकिंग के जरिये चल रही टैक्सियों के संचालन को नियमावली का खाका एक वर्ष पहले बनाया जा चुका है। बावजूद इसके अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। इससे सरकार को राजस्व की हानि तो हो ही रही है, साथ ही यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, प्रदेश में इस समय ऑनलाइन टैक्सी सर्विस की खासी मांग है।

कई कंपनियां बेहद किफायती दरों पर सेवाएं प्रदान करने का दावा कर रही हैं। ग्राहक इन सेवाओं का इस्तेमाल भी कर रहे हैं, लेकिन इनके संचालन को परिवहन विभाग में अभी तक कोई नियमावली नहीं बनी है। विभाग ने इसे अवैध ठहराया तो टैक्सी संचालकों ने नियमावली पर सवाल उठा दिए। ऐसे में बीते वर्ष नियमावली बनाई गई। इसे अनुमोदित करने के लिए शासन के पास भेजा गया। तब से ही यह शासन में लंबित चल रही है।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com