देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) ने सकारात्मक पहल की है। अब तक चीन, मलेशिया, ताईवान, जर्मनी और अन्य देशों से आ रहे कलपुर्जों और उपकरणों को मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी तकनीक पर तैयार किया जाएगा। भले ही लागत 20 फीसद अधिक आएगी, लेकिन भारतीय कंपनी को ही तवज्जो देने का निर्णय लिया गया है।
एलिम्को में दिव्यांगों के लिए मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल, मल्टी यूटीलिटी ट्राईसाइकिल, एमएसआइईडी किट, कृत्रिम पैर, सुनने वाली मशीन, सेंसर युक्त छड़ी और अन्य उपकरण विदेशों के कलपुर्जों की सहायता से तैयार होते हैं। मगर, अब विदेशों से उपकरण नहीं मंगाने का निर्णय लिया गया है। जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण देश में नहीं बन पा रहे हैं, उनको विकसित करने के लिए तकनीकी संस्थानों से करार किया जाएगा। आइआइटी, एनआइआइटी, आइआइएससी समेत अन्य तकनीकी संस्थानों की मदद भी ली जाएगी, इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सैद्धांतिक अनुमति मिल गई है।
खुलेंगे रिपेयरिंग व सर्विस सेंटर
एलिम्को प्रवासी मजदूरों और अन्य युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोडऩे की तैयारी कर रहा है। इसके लिए विभिन्न हिस्सों में रिपेयरिंग और सर्विस सेंटर खोले जाएंगे। एलिम्को सीएमडी डीआर सरीन ने बताया कि मेक इन इंडिया के अंतर्गत उपकरण तैयार करने का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया है। सरकार की ओर से सैद्धांतिक सहमति पहले ही मिल चुकी है। देश को आर्थिक रूप से फायदा होगा।
इन उपकरणों में लगेगी स्वदेशी तकनीक
- हेयरिंग ऐड- सुनने वाली मशीन का 50 फीसद हिस्सा बाहर का रहता है।
- एमएसआइईडी- सेरीब्रल पाल्सी, ऑटिज्म समेत अन्य तरह की न्यूरो की समस्या वाले बच्चों के लिए उपकरण होते हैं। इनकी सहायता से चलना, महसूस करना और कार्य करना सिखाया जाता है। किट के 13 कंपोनेंट्स विदेशी हैं।
- रिट्रोफिट किट- मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल में प्रयुक्त मोटर रिट्रोफिट किट चीन से बनकर आती है।
- स्मार्ट केन- सेंसर युक्त छड़ी का यह उपकरण ताईवान से आता है।
- मोटराइज्ड बाईसाइकिल- मोटराइज्ड बाईसाइकिल की बैट्री चीन से आती है।