साल का एक दिन, यानी 21 जून। इस दिन पूरे विश्व में योग की धूम रहती है। उत्तराखंड शुरू से ही योग के केंद्र में रहा है। ऋषिकेश और आसपास के इलाकों में देश-विदेश से साधक योग करने के लिए आते हैं। योग के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकारें लगातार इसके प्रचार प्रसार पर जोर देती आई हैं। वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने योग को बढ़ावा देने के साथ 20 हजार योग प्रशिक्षितों को रोजगार देने की घोषणा की। इन्हें रोजगार देने के लिए योजनाएं बनाने की बात हुई। स्कूलों में योग को पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने पर भी सहमति बनी। योग में डिप्लोमा और डिग्रीधारकों के मन में रोजगार को लेकर आस जगी। स्थिति यह है कि प्रदेश में योग प्रशिक्षितों की संख्या आज 25 हजार से अधिक पहुंच चुकी है, लेकिन चार साल पहले की गई घोषणा धरातल पर नहीं उतर पाई है।
अभी नहीं उड़ेगा डबल इंजन हेलीकॉप्टर
प्रदेश में भले ही अभी डबल इंजन की सरकार हो लेकिन डबल इंजन हेलीकॉप्टर का उड़ना अभी संभव होता नजर नहीं आ रहा है। इस दिशा में सरकार ने फिलहाल कदम थामे हुए हैं। दरअसल, आपदा समेत विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने नया डबल इंजन हेलीकॉप्टर खरीदने का निर्णय लिया। इससे पहले आपात कार्यों के लिए किराए के हेलीकॉप्टर लिए जा रहे थे। कभी मिलने में देरी तो कभी किराये को लेकर विवाद रहता है। ऐसे कुछ प्रकरण शासन में लंबित हैं जिसमें ऑपरेटर और शासन के बीच किराए को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकार ने अपना डबल इंजन हेलीकॉप्टर खरीदने का निर्णय लिया। जब तक खरीद पर कदम आगे बढ़ते तब तक कोरोना ने दस्तक दे दी। अब सारा फोकस स्वास्थ्य सेवाओं पर है। ऐसे में हेलीकॉप्टर खरीद प्रक्रिया अभी थमी हुई है।
वेबसाइट अपडेट नहीं तैयारी, ई-गवर्नेंस की
कोरोना काल ने ई-गवर्नेंस की महत्ता को और बढ़ा दिया है। सरकार भी इन बातों को समझते हुए अब इस दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है। बावजूद इसके विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालत यह है कि विभागों की वेबसाइट सालों से अपडेट नहीं हैं। यहां तक कि उत्तराखंड की सरकारी वेबसाइट पर सिडकुल व उद्योग को छोड़ किसी भी विभाग ने इस साल कोई शासनादेश नहीं डाला है। यह स्थिति तब है जब शासन द्वारा समय-समय पर सभी विभागों से जारी होने वाले शासनादेशों की एक प्रति सरकारी वेबसाइट पर पर भी अपलोड करने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। मकसद यह कि आमजनता भी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी रख सके। पहले यह काम एनआइसी करता थी, बाद में उसने विभागों से ही खुद शासनादेश वेबसाइट पर डालने को कहा। विभागों ने तब से ही ऐसा करने की जहमत नहीं उठाई।
इलेक्ट्रिक बसों का उड़ गया फ्यूज
परिवहन निगम के इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करने के अरमान का फ्यूज उड़ गया है। इसका कारण निगम की आर्थिक स्थिति ठीक न होना है। परिवहन निगम बोर्ड ने फिलहाल इन बसों की खरीद प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। लिहाजा अब यह मसला लंबे समय के लिए टलता नजर आ रहा है। दरअसल, परिवहन निगम बोर्ड ने दो साल पहले देहरादून से मसूरी और हल्द्वानी से नैनीताल मार्ग पर 25-25 बसों को चलाने का निर्णय लिया था। इसके लिए बाकायदा इन मार्गों पर बसों का ट्रायल लिया गया। इसके बाद निगम ने इन बसों को चलाने का निर्णय भी लिया। इन्हें पीपीपी मोड अथवा स्वयं के खर्च पर चलाने का फैसला किया गया, टेंडर भी आमंत्रित किए गए, जिसमें बहुत कम कंपनियों ने रुचि दिखाई। खुद खरीदने के लिए बजट पर नजर दौड़ाई तो यह काफी कम था। लगता है अब इससे कदम पीछे ही खींच लिए गए हैं।