सीएम अखिलेश यादव मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंच चुके हैं। चर्चा है कि दोनों पक्षों में सुलह हो सकती है। दोनों के बीच वार्ता शुरू हो चुकी है। गायत्री प्रजापति वहां पहले से ही मौजूद हैं। मुलायम सिंह यादव आज सुबह ही दिल्ली से लौटे हैं। इसी बीच नारद राय भी दिल्ली से लखनऊ के लिए रवाना हो चुके हैं।
मुलायम कल चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखने गए थे वहीं दूसरी ओर रामगोपाल यादव आज चुनाव आयोग साइकिल पर अपना दावा ठोंकने पहुंचे। रामगोपाल यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी हमारी है, चुनाव चिह्न पर हमारा हक है। हमने चुनाव आयोग के सामने बात रख दी है। उम्मीद है हमारे हक में फैसला होगा। उनके साथ नरेश अग्रवाल भी मौजूद रहे।
बता दें कि आजम खां ने भी आज बयान दिया था कि उन्हें अभी भी पार्टी में सबकुछ ठीक होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा था, हमारी तरफ से मुलायम और अखिलेश को मिलाने की पूरी कोशिश जारी है।
बता दें कि आजम खां ने भी आज बयान दिया था कि उन्हें अभी भी पार्टी में सबकुछ ठीक होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा था, हमारी तरफ से मुलायम और अखिलेश को मिलाने की पूरी कोशिश जारी है।
‘दंगल’ की शुरुआत हुई शुक्रवार 30 दिसंबर देर शाम करीब 7 बजे मुलायम सिंह यादव की प्रेस कांफ्रेंस से। जब उन्होंने अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को सपा से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। मुलायम बोले-रामगोपाल और अखिलेश पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी को किसी भी कीमत में टूटने नहीं देंगे। पार्टी पहले है, परिवार बाद में। उन्होंने ये फैसला अखिलेश के मुलायम के अपने विधायकों की सूची जारी करने के बाद दूसरी सूची जारी करने पर खफा होकर लिया था वहीं रामगोपाल यादव पर भी पार्टी के खिलाफ जाने की बात कहते हुए ये एक्शन लिया गया था।
आनन फानन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार सुबह 9 बजे अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुला ली तो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने 10.30 बजे सपा के प्रदेश कार्यालय में प्रत्याशियों की बैठक बुला ली। सीएम खेमे के नेता देर रात तक विधायकों से संपर्क करके उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने में लगे हुए थे।
सपा के लगभग 300 प्रत्याशी मुलायम-शिवपाल की सूची में भी हैं और सीएम अखिलेश की भी। ऐसे में उन्हें तय करना मुश्किल था कि वे किसके साथ रहें। उनके सामने धर्म संकट की स्थिति थी। शुक्रवार को कई विधायक कहते सुने गए कि अखिलेश या मुलायम में से किसी एक को छोड़ना उनके लिए काफी तकलीफदेह होगा।
आनन फानन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार सुबह 9 बजे अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुला ली तो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने 10.30 बजे सपा के प्रदेश कार्यालय में प्रत्याशियों की बैठक बुला ली। सीएम खेमे के नेता देर रात तक विधायकों से संपर्क करके उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने में लगे हुए थे।
सपा के लगभग 300 प्रत्याशी मुलायम-शिवपाल की सूची में भी हैं और सीएम अखिलेश की भी। ऐसे में उन्हें तय करना मुश्किल था कि वे किसके साथ रहें। उनके सामने धर्म संकट की स्थिति थी। शुक्रवार को कई विधायक कहते सुने गए कि अखिलेश या मुलायम में से किसी एक को छोड़ना उनके लिए काफी तकलीफदेह होगा।
सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी के 31 दिसंबर को हुए सबसे बड़े शक्ति प्रदर्शन में अखिलेश ने पिता मुलायम से बाजी मार ली। साथ ही, भावुक बयान देने के बाद इरादे भी जाहिर कर दिए। शनिवार को नेताजी ने आधिकारिक रूप से घोषित किए गए उम्मीदवारों की बैठक बुलाई थी, लेकिन उनके यहां बहुत कम विधायक पहुंचे।
वहीं, अखिलेश के घर हुई मीटिंग में काफी ज्यादा विधायक शामिल हुए। स्पष्ट हो गया कि अखिलेश का पलड़ा भारी है। 403 सीटों वाली यूपी विधानसभा में सपा के 224 विधायक हैं।अखिलेश के सरकारी आवास पर हुई मीटिंग में उनके करीबी विधायक एक-एक कर उनसे मिलने पहुंचे। बात करते-करते कुछ देर के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश भावुक हो गए। उन्होंने खुद को किसी तरह संभाला, लेकिन उन्होंने पहले की तरह नेताजी से जुड़ा कोई किस्सा शेयर नहीं किया। हालांकि ये जरूर कहा, “मुझे पार्टी से अलग किया गया है, पिता से अलग नहीं हुआ हूं। एक बार फिर यूपी जीतकर नेताजी को तोहफे में दूंगा।
मीटिंग में मौजूद एक नेता की मानें तो सीएम की बातों से लग रहा था कि उन्हें मुलायम के ऐसे फैसले का अंदाजा था। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि हमारा मुख्य लक्ष्य यूपी चुनावों में सांप्रदायिक ताकतों को रोकना है। मीटिंग के दौरान ही कई दूसरे दलों के नेताओं से भी मौजूदा घटनाक्रम को लेकर अखिलेश की फोन पर बात हुई।
वहीं, अखिलेश के घर हुई मीटिंग में काफी ज्यादा विधायक शामिल हुए। स्पष्ट हो गया कि अखिलेश का पलड़ा भारी है। 403 सीटों वाली यूपी विधानसभा में सपा के 224 विधायक हैं।अखिलेश के सरकारी आवास पर हुई मीटिंग में उनके करीबी विधायक एक-एक कर उनसे मिलने पहुंचे। बात करते-करते कुछ देर के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश भावुक हो गए। उन्होंने खुद को किसी तरह संभाला, लेकिन उन्होंने पहले की तरह नेताजी से जुड़ा कोई किस्सा शेयर नहीं किया। हालांकि ये जरूर कहा, “मुझे पार्टी से अलग किया गया है, पिता से अलग नहीं हुआ हूं। एक बार फिर यूपी जीतकर नेताजी को तोहफे में दूंगा।
मीटिंग में मौजूद एक नेता की मानें तो सीएम की बातों से लग रहा था कि उन्हें मुलायम के ऐसे फैसले का अंदाजा था। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि हमारा मुख्य लक्ष्य यूपी चुनावों में सांप्रदायिक ताकतों को रोकना है। मीटिंग के दौरान ही कई दूसरे दलों के नेताओं से भी मौजूदा घटनाक्रम को लेकर अखिलेश की फोन पर बात हुई।
विधायकों व मंत्रियों से समर्थन हासिल करने के बाद सीएम अखिलेश यादव, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मिलने के लिए उनके आवास पहुंचे। मुलायम ने फोन कर शिवपाल यादव को अपने पांच विक्रमादित्य मार्ग पर बुलाया। शिवपाल बेटे आदित्य यादव के साथ मुलायम के घर पहुंचे।
खबर आई कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, सीएम अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव का सपा से निष्कासन रद्द करने की तैयारी में हैं। सपा की वेबसाइट से दोनों के निष्कासन का पत्र हटा लिया गया है। कुल मिलकार सपा सुलह की ओर दिखी। इसके बाद शिवपाल भी मुलायम के घर से निकले।
मुलायम से मिलने के बाद अखिलेश भी लौट गए। सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट किया कि नेताजी के आदेशानुसार, सीएम अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव का निलंबन तत्काल प्रभाव से समाप्त। मिलकर सांप्रदायिक ताकतों को हराएंगे और फिर यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे। इसके बाद भी अखिलेश खेमे ने 1 जनवरी को होने वाला सपा का आकस्मिक अधिवेशन नहीं टाला। इस अधिवेशन में तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिसमें अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम सिंह को संयोजक की भूमिका में रखने की बात कही गई। दूसरे फैसले में शिवपाल यादव को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया तीसरा फैसला अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने का लिया गया। इसके बाद से ही दोनों खेमों में तनातनी बढ़ गई और अब साइकिल की दावेदारी को लेकर दोनों पक्ष चुनाव आयोग तक अर्जी लगा चुके हैं।
खबर आई कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, सीएम अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव का सपा से निष्कासन रद्द करने की तैयारी में हैं। सपा की वेबसाइट से दोनों के निष्कासन का पत्र हटा लिया गया है। कुल मिलकार सपा सुलह की ओर दिखी। इसके बाद शिवपाल भी मुलायम के घर से निकले।
मुलायम से मिलने के बाद अखिलेश भी लौट गए। सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट किया कि नेताजी के आदेशानुसार, सीएम अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव का निलंबन तत्काल प्रभाव से समाप्त। मिलकर सांप्रदायिक ताकतों को हराएंगे और फिर यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे। इसके बाद भी अखिलेश खेमे ने 1 जनवरी को होने वाला सपा का आकस्मिक अधिवेशन नहीं टाला। इस अधिवेशन में तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिसमें अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम सिंह को संयोजक की भूमिका में रखने की बात कही गई। दूसरे फैसले में शिवपाल यादव को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया तीसरा फैसला अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने का लिया गया। इसके बाद से ही दोनों खेमों में तनातनी बढ़ गई और अब साइकिल की दावेदारी को लेकर दोनों पक्ष चुनाव आयोग तक अर्जी लगा चुके हैं।