कोरोना वायरस की वजह से एक तरफ रोजगार का संकट है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों के किचन का बजट पूरी तरह से गड़बड़ हो गया है. जो टमाटर जून के महीने में 20 रुपये प्रति किलो बिकता था, आज उसकी कीमत 70 प्रति किलो है. आलू, टमाटर, भिंडी, लौकी, बैंगन, तोरई के दाम में भी इजाफा देखा गया है.
कोरोना महामारी से जिनकी नौकरी चली गई है अब वह इतनी महंगाई में खाने की व्यवस्था कैसे करें? साथ ही सब्जी कारोबारियों का कहना है कि कोरोना वायरस और डीजल के रेट बढ़ने से टमाटर और अन्य सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं.
गाजीपुर सब्जी मंडी में टमाटर विक्रेता इब्राहिम का कहना है कि इस वक्त आने वाला टमाटर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से है. पहाड़ी इलाकों के आने की वजह से यह काफी ज्यादा महंगा हो गया है. वहीं टमाटर के रिटेल विक्रेता राहुल का कहना है मॉनसून सीजन की वजह से कई सारी सब्जियां खराब हो जाती हैं. ऐसे में कम आवक होने पर टमाटर का दाम बढ़ जाता है.
इससे पहले टमाटर मध्य प्रदेश के शिवपुरी लावड़ा और बेंगलुरु से आता था. इसलिए जून के महीने में यह काफी सस्ता था और 20 रुपये किलो बिका. गाजीपुर सब्जी मंडी में सब्जी खरीदने आए उदय का कहना है कि रेट बढ़ने से घर का पूरा बजट बिगड़ गया है. ऐसे में सस्ती सब्जियां ही घर ले जा रहे हैं.
गाजीपुर मंडी में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी के अध्य्क्ष सत्य देव प्रसाद गुप्ता ने बताया कि मॉनसून की वजह से हर साल सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं. कोरोना की वजह से यह संकट और बढ़ गया है.
बता दें कि मॉनसून शुरू होते ही सब्जियों की जमाखोरी बढ़ जाती है क्योंकि माल की आवाजाही में बारिश की वजह से धीमी पड़ जाती है. लिहाजा डिमांड और सप्लाई के बीच का अंतर भी बढ़ना सब्जियों के दाम बढ़ने के पीछे एक वजह है माना जाता है. इसी वजह से खुदरा कारोबारी सब्जियों की रिटेल कीमतें बढ़ा देते हैं.