रामलला के पक्ष में गत वर्ष नौ नवंबर को निर्णय आया और इसी पांच तारीख को प्रधानमंत्री मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन भी कर गये। ..और अब मंदिर निर्माण की शुरुआत के लिए एक-एक दिन गिना जा रहा है। यद्यपि राम मंदिर के रूप में कोई साधारण भवन नहीं, बल्कि कालजयी और भव्य-दिव्य भवन का निर्माण होना है।
राम मंदिर जितना भव्य-विशाल और सुदृढ़ होगा, नींव की तैयारियों को लेकर उतनी ही व्यापक और सजग तैयारियां चल रही हैं। यह तैयारी इसी महीने की 20 तारीख को अंतिम स्पर्श पायेगी। तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए इस तारीख को नयी दिल्ली में श्री रामजनमभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की भवन निर्माण समिति की बैठक आहूत की गयी है। बैठक में समिति के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव नृपेंद्र मिश्र सहित तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, प्रस्तावित मंदिर के मुख्य शिल्पी आशीष एवं निखिल सोमपुरा के अलावा भवन निर्माण अभियांत्रिकी से जुड़े कुछ राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के दिग्गज शामिल होंगे। इनमें स्कूल ऑफ आर्कीटेक्चर एंड प्लानिग के डीन वीके पाल, स्कूल ऑफ आर्कीटेक्चर- लखनऊ की प्राचार्य वंदना सहगल, दिल्ली के प्रख्यात अक्षरधाम मंदिर से जुड़े और मर्मज्ञ वास्तुविद स्वामी ब्रह्मबिहारी सहित लार्सन एंड टुब्रो के शीर्ष अभियंताओं के नाम हैं।
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नींव की मजबूती के लिए खंगाली जा रहीं सारी संभावनाएं
राम मंदिर निर्माण में करीब चार लाख घन फीट और लाखों टन वजन के पत्थर प्रयुक्त होने हैं और यह विशद भार जिस नींव पर होगा, उसके लिए विशेषज्ञ कोई कसर नहीं रखना चाहते। प्रस्तावित मंदिर कम से कम एक हजार वर्ष तक अक्षुण बना रहे, इस लक्ष्य को ध्यान के रखकर नींव को मजबूती देने के लिए सारी संभावना खंगाली जा रही है और उसे बड़ी-बड़ी नदियों पर बनने वाले पुलों के स्तंभों की तरह ढाले जाने की योजना बनायी जा रही है।
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भव्यता का उदाहरण बनेगा प्रस्तावित मंदिर
रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर भव्यता का उदाहरण होगा। यह 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा एवं 161 फीट ऊंचा है। इसमें एक शिखर और पांच उप शिखर हैं। यह तीन तल का है और प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ के हिसाब से 318 स्तंभ प्रयुक्त होंगे।