पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान देश में खाद्य कीमतों को कम करने के लिए राज्य के सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने की तैयारी में हैं। शनिवार को इसे लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए गए। इसमें कहा गया है, ‘आने वाले सप्ताह में सोमवार से, हमारी सरकार खाद्य पदार्थों की कीमतें नीचे लाने के लिए राज्य के सभी संसाधनों का उपयोग करेगी।
एक अन्य ट्वीट में कहा गया, ‘हम पहले से ही कीमतों में बढ़ोतरी के कारणों की जांच करने में लगे हैं इसमें वास्तविक आपूर्ति की कमी हो या केवल माफियाओं द्वारा तस्करी (यदि कोई हो) सभी शामिल हैं। इसके अलावा कीमतों की बढ़ोतरी को लेकर ताड़ के तेल, दाल इत्यादि जैसे अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों के कारण मूल्य वृद्धि को लेकर भी जांच की जा रही है। वहीं एक ट्वीट में जानकारी दी गई कि अगले सप्ताह से हमारे पास अपनी रणनीति होगी और खाद्य कीमतों को नीचे लाने के लिए सभी राज्य संगठनों और संसाधनों का उपयोग करना शुरू हो जाएगा।’
इसके अलावा पीएम खान की इस घोषणा के जवाब में उद्योग और उत्पादन मंत्री हम्माद अजहर ने कहा, ‘दक्षिण एशिया ने एक अस्थायी खाद्य मुद्रास्फीति स्पाइक देखा है। सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए सभी जरूरी उपाय करेगी। राज्यों द्वारा तय दरों पर आयातित गेहूं और चीनी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा अन्य विकल्पों के लिए सभी विकल्पों की जांच की जा रही है।’
गौरतलब है कि पाकिस्तान में महंगाई सिर चढ़कर बोल रही है। गेहूं का दाम 6,000 रुपये प्रति कुंतल अर्थात 60 रुपये प्रति किलो के साथ रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा महंगाई बढ़ने की अफवाह के बीच लोगों ने जमाखोरी शुरू कर दी है जिससे जरूरी चीजों की बाजार में कमी देखी जा रही है।
देश के सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में यहां महंगाई की दर 8.2 फीसद और सितंबर में 9.0 फीसद रही। बिजली परियोजनाओं पर कर्ज बढ़कर दो लाख 10 हजार करोड़ रुपये हो गया है। कोरोना काल में 94 जीवनरक्षक दवाओं की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है। सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही कुकिंग गैस की कमी देखी जा रही है। बढ़ती महंगाई की समस्या से निपटने की जगह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की इमरान सरकार भारत पर निशाना साधने में लगी है।