भारतीय पूंजी बाजारों में पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes) के माध्यम से निवेश सितंबर महीने के आखिर तक घटकर 69,821 करोड़ रुपये रह गया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च महीने के बाद से पी-नोट्स के माध्यम से निवेश में पहली बार गिरावट आई है।
सेबी के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश सितंबर के आखिर तक घटकर 69,821 करोड़ रुपये रह गया। इसमें शेयर, बाॉन्ड, हाइब्रिड प्रतिभूतियां और डेरिवेटिव्स शामिल हैं। अगस्त महीने की बात करें, उस दौरान पी-नोट्स के माध्यम से निवेश का आंकड़ा 74,027 करोड़ रुपये रहा था, जो दस महीने का उच्च स्तर था। इससे पहले जुलाई महीने में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश 63,228 करोड़ रुपये, जून में 62,138 करोड़ रुपये, मई में 60,027 करोड़ रुपये और अप्रैल महीने में 57,100 करोड़ रुपये रहा था।
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के बीच वृहद बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के चलते मार्च के आखिर तक पी-नोट्स के माध्यम से निवेश 15 वर्षों के न्यूनतम स्तर 48,006 करोड़ रुपये पर आ गया था।
सितंबर महीने में हुए कुल 69,821 करोड़ रुपये के निवेश में से 59,314 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में हुआ है। इसके अलावा 10,240 करोड़ रुपये का निवेश ऋण या बॉन्ड बाजारों में हुआ है। वहीं, 267 करोड़ रुपये का निवेश हाइब्रिड प्रतिभूतियों में हुआ है।
पी-नोट्स के माध्यम से निवेश में गिरावट के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय बाजारों में भरोसा कायम है।
माईवेल्थग्रोथ.कॉम के हर्षद चेतनवाला ने कहा, ‘हालांकि, सितंबर महीने में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश घटा है, इसके बावजूद यह चालू कैलेंडर साल में दूसरा सबसे अच्छा महीना है। कोविड-19 महामारी के दूसरे दौर के चलते वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और विश्व में और प्रोत्साहन के अभाव में यह निवेश और अधिक प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद एफपीआई का भारतीय बाजारों के प्रति भरोसा कायम है।’