पंजाब भर में खेतों में जल रही पराली का धुआं कई बीमारियों को दावत दे रहा है। आंखों और त्वचा में जलन, सांस लेने में परेशानी (अस्थमा) के केस लगातार बढ़ रहे हैं। जालंधर में डाक्टरों के पास रोजाना 15 से 20 केस आ रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि धुएं में कार्बन डाइआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड व मीथेन जैसी गैसों का मिश्रण होता है। ये गैसें वायुमंडल में घुल जाती हैं। प्रदूषित हवा में कार्बन कण व सल्फर ऑक्साइड होते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक होते है। खतरनाक गैंसें शरीर को कई बीमारियों की सौगात देती हैं। पिछले कुछ दिनों में मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो चुकी है।
चेस्ट स्पेशलिस्ट डा. एचएस ढींगरा ने बताया कि पराली के धुएं से बढ़ रहे प्रदूषण का असर सीधा लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। उनके फेफड़े संक्रमित हो रहे हैं। रोजाना बीस से तीस मरीज ऐसे आ रहे है जिन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है। एलर्जी व अस्थमा के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बचाव के लिए उन्हें समय-समय पर गर्म पानी का सेवन करते रहना चाहिए। मरीज इन्हेलर मशीन का प्रयोग करते रहें।
डा. अशोक शर्मा ने कहा कि पराली का धुआं आंखों के लिए खतरनाक है। इससे आंखों से पानी आना, लाल होना, जलन महसूस करना बार-बार खुजली होने की शिकायत आनी शुरू हो जाती है। धुएं से आंखों में जलन होने के साथ इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। मरीज को लगातार सावधानी बरतनी चाहिए। दिन में आंखों को दो-तीन बार पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। पराली जलने से आंखों के मरीजों के केसों में दस प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
बरीना स्किन सेंटर की स्किन स्पेशलिस्ट डा. बरीना ने कहा कि पराली से उठने वाले धुएं से स्किन की समस्या बढ़ जाती जाती है। कई लोगों की त्वचा नाजुक होती है जिस पर लाल-लाल दाने पड़ जाते है। खुजली शुरू हो जाती है।