अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनावों का विवादों से रहा है गहरा नाता, जानें-कुछ चौंकाने वाले चुनावी विवाद

इस बार अमेरिकी चुनाव कोरोना महामारी के साए में हो रहे हैं। कोरोना महामारी के मद्देनजर इस बार मेल इन बैलेट से सर्वाधिक वोट पड़े। इतना ही नहीं, इस चुनाव के दौरान कई तरह के विवाद भी आते रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान राष्‍ट्रपति ट्रंप ने चुनावी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की धमकी दी है। राष्‍ट्रपति चुनाव में यह विवाद पहली बार नहीं हुआ है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनावों का विवादों से गहरा नाता है। कई बार राष्‍ट्रपति चुनाव विवादों में रहा है। चुनावी प्रक्रिया पर भी कई तरह के सवाल उठाए गए। आइए, हम आपको बताते हैं अमेरिकी चुनाव से जुड़े कुछ प्रमुख विवाद। इन विवादों ने अमेरिकी राजनीतिक संस्‍कृति को भी प्रभावित किया-

2016: डोनाल्‍ड ट्रंप vs हिलेरी क्लिंटन

वर्ष 2016 के राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान भी अमेरिकी समाज दो खेमों में बंटा था। उस वक्‍त रिपब्लिकन पार्टी के उम्‍मीदवार डोनाल्‍ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्‍याशी हिलेरी क्लिंटन थीं। दोनों के बीच कांटे का मुकाबला था। ट्रंप ने उस वक्‍त भी चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया भ्रष्‍ट है। ट्रंप ने कहा था कि अगर मैं चुनाव नहीं जीता तो अदालत में चुनौती दूंगा।

2000: अल गोर vs जार्ज बुश

वर्ष 2000 के राष्‍ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक प्रत्‍याशी अल गोरे थे। रिपब्लिक पार्टी की ओर से जार्ज बुश उम्‍मीदवार थे। उस वक्‍त चुनाव में एक अटपटी घटना घटित हुई। डेमोक्रेटिक उम्‍मीदवार अल गोरे को सर्वाधिक पॉपुलर वोट मिलने के बावजूद वह अपने प्रतिद्वंद्वी जॉर्ज बुश से परास्‍त हो गए। अमेरिकी इतिहास में यह पहली बार हुआ था। इस चुनाव में अल गोरे को 5 लाख से अधिक पॉपुलर वोट हासिल हुए थे, लेकिन इलेक्‍टोरल कॉलेज में वह बढ़त नहीं बना पाए। अल गोरे चुनाव परिणामों से नाखुश थे। उन्‍होंने वोटों की दोबारा गिनती की मांग की। मामला अदालत भी गया। आखिर में अदालत के आदेश बाद वोटों की दोबार गिनती बंद हुई। अल गोरे ने अपनी हार मानी और बुश राष्‍ट्रपति बने।

1948: हैरी ट्रुमैन vs थॉमस डेवी

वर्ष 1948 का चुनाव अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के इतिहास में बेहद खास था। चुनावी मैदान में रिपब्लिकन पार्टी के उम्‍मीदवार थॉमस डेवी और हैरी ट्रुमैन के बीच कांटे की टक्‍कर थी। हालांकि, हैरी ट्रुमैन का पलरा कई राज्‍यों में भारी था। उनकी जीत पक्‍की मानी जा रही थी। लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे इसके विपरीत थे। थॉमस डेवी अपने प्रतिद्वंद्वी हैरी ट्रुमैन से 5 फीसद की बढ़त बनाए हुए थे। इसके चलते एग्जिट पोल से ट्रुमैन काफी मायूस हो गए थे। इतना ही नहीं कई अमेरिकी अखबारों ने सुबह ट्रुमैन की हार को सुर्खियों में रखा, अखबारों के पहले पन्‍ने पर उनकी हार की खबर चली, लेकिन अंत में राष्‍ट्रपति ट्रुमैन की जीत हुई।

1876 : सैमुअल टिल्‍डेन रदरफोर्ड

वर्ष 1876 का राष्‍ट्रपति चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ। अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्‍मीदवार सैमुअल टिल्‍डेन चुनाव चुनाव जीतकर भी पराजित हुए। सैमुअल ने अपने प्रतिद्वंद्वी व रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्‍याशी रदरफोर्ड हेस से पॉपुलर वोट और इलेक्‍टोरल कॉलेन दोनों में बढ़त बनाए हुए थे, लेकिन इलेक्‍टोरल कॉलेज में जरूरी 185 वोट हासिल नहीं कर सके थे। इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्‍याशी सैमुअल टिल्‍डेन चुनाव जीत के भी हार गए। बाद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ। इसके बाद रदरफोर्ड हेस को अमेरिका का राष्‍ट्रपति घोषित किया गया। इस चुनाव में दोनों उम्‍मीदवारों ने एक दूसरे पर भ्रष्‍टाचार फर्जीवाड़े का आरोप लगाए थे।

 

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