लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ‘नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ विश्व के बेहतरीन हवाई अड्डों में से एक होगा। उत्तर प्रदेश सरकार इसे विश्वस्तरीय बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। यह एयरपोर्ट भारत का गौरव बनेगा, हम इसे एक ‘ग्लोबल ब्रांड’ के रूप में विश्व पटल पर प्रस्तुत करेंगे।
सीएम योगी ने गुरुवार को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लोगो, नाम और डिजाइन को अपनी स्वीकृति दी। चार फेज में बनने को प्रस्तावित इस एयरपोर्ट की शुरुआती क्षमता 12 मिलियन यात्री प्रति वर्ष की होगी, जिसे अलग-अलग फेज में विस्तार देते हुए 2050 तक 70 मिलियन यात्री प्रति वर्ष तक किया जाएगा।यही नहीं प्रारंभ में यहां 02 रन-वे होंगे जिसे 05 रन-वे तक किया जाएगा।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बहुप्रतीक्षित, विश्वस्तरीय एयरपोर्ट के लोगो, डिजाइन और नाम को स्वीकृति दी। इसका नाम ‘नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर’ होगा, जबकि लोगो में राज्य पक्षी ‘सारस’ का अक्स है।बात यात्री सुविधाओं की हो या भव्यता की, सब कुछ विश्वस्तरीय होगा। एयरपोर्ट की डिजाइन लंदन, मॉस्को और मिलान के विश्वप्रसिद्ध एयरपोर्ट की तर्ज पर तैयार की गई है।
मुख्यमंत्री आवास पर इस संबंध में एक प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए सीएम योगी ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर की स्थापना से उत्तर प्रदेश में औद्योगिक अवस्थापना का संरचनात्मक विकास होगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। विनिर्माण एवं निर्यात को प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ हवाई यातायात सुगम होगा। पर्यटन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सीएम ने कहा कि एविएशन सेक्टर आज के समय में बहुआयामी प्रगति का माध्यम है। इससे आर्थिक विकास में भी वृद्धि होती है। मुख्यमंत्री ने एयरपोर्ट के विकास में हर संभव मदद देने की बात कही।
प्रोजेक्ट की अद्यतन स्थिति के संबंध में जानकारी देते हुए निदेशक एवं विशेष सचिव नागरिक उड्डयन, सुरेंद्र सिंह ने बताया कि विश्वस्तरीय एयरपोर्ट के निर्माण के लिए कंशेसनायर यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा.लि. ने बीते 04 दिसंबर को मास्टर प्लान नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे परीक्षण के लिए नागरिक विमानन मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा गया है।
एयरपोर्ट पर होंगे शानदार 05 रन-वे:
कंसेशन एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार राज्य सरकार सहायता एग्रीमेंट की कार्यवाही 05 अप्रैल 2021 तक की जानी है। इस संबंध में कंसेशनायर ‘यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड’ को पत्र भेजा जा चुका है। इसी माह यह कार्य भी पूरा हो जाएगा। विशेष सचिव, मुख्यमंत्री सुरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना के लिए आवश्यक 1334 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी द्वारा की गई है। साथ ही पुनर्वास व विस्थापन के लिए 48.097 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इस स्थल पर कार्यदायी संस्था यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा विकास संबंधी कार्य शुरू कर दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि नोएडा एयरपोर्ट एयरपोर्ट में कुल 5 रन-वे होगा। वर्तमान में 2 रन-वे के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है, जबकि शेष तीन रनवे के लिए 3418 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है।
प्रस्तुतीकरण के अवसर पर यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के सीईओ क्रिस्टोफ शेलमन, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर किरण जैन, कारपोरेट ऑफिसर सुनील जोशी, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के सीईओ डॉक्टर अरुण वीर सिंह और नोडल ऑफीसर शैलेंद्र भाटिया की भी उपस्थिति रही।
अब तक कब-कब क्या-क्या
– नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 06 जुलाई 2017 को साइट क्लीयरेंस दिया गया।
– गृह मंत्रालय द्वारा 05 अक्टूबर 2017 को तथा रक्षा मंत्रालय द्वारा 11 जुलाई 2018 को एयरपोर्ट के लिए एनओसी दी गई।
– एयरपोर्ट के लिए 29 नवंबर 2019 को फाइनेंशियल बिड खोली गई, जिसमें ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ने सबसे अधिक प्रति पैसेंजर दिए जाने हेतु प्रीमियम की बोली ₹400.97 लगाई थी।
– 16 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार ने ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी को सेलेक्टर बिडर घोषित कर कंडीशनल लेटर ऑफ अवार्ड प्रदान किया।
– परियोजना को 09 मार्च 2020 को पर्यावरण क्लीयरेंस प्राप्त हुई।
– नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 04 मई 2018 को सैद्धांतिक अनुमति तथा सिक्युरिटी क्लीयरेंस 18 मई 2020 को प्रदान की गई।
– 07 अक्टूबर 2020 को ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी के एसपीयू यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा.लि. व उत्तर प्रदेश सरकार को कम्पनी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के बीच कंशेसन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए।
– विश्वस्तरीय एयरपोर्ट के निर्माण के लिए कंशेसनायर यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा.लि. ने 04 दिसम्बर 2020 को मास्टर प्लान नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसे परीक्षण के लिए नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार को भेज दिया गया।