प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री बोले-सभी को घर उपलब्‍ध कराने के लिए मिशन की तरह काम करें अधिकारी

प्रदेश के ग्राम्य विकास एवं समग्र विकास राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने कहा कि बेघरों को घर उपलब्ध कराने के लिए अधिकारी एवं कर्मचारी मिशन मोड में काम करें। केंद्र एवं राज्य सरकार ने 2022 तक सभी बेघरों को घर देने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस लक्ष्‍य को हर हाल में प्राप्त करना है।

राज्य मंत्री यहां एनेक्सी भवन सभागार में आयोजित गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ एवं देवीपाटन मंडलों में ग्राम्य विकास विभाग की ओर से संचालित योजनाओं के प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूह को सीसीएल के तहत दो करोड़ सात लाख तथा संकुल स्तरीय संघ को आधारभूत संरचना एवं प्रशिक्षण के लिए 40 लाख रुपये का डेमो चेक प्रदान किया। सामुदायिक शौचालय के संचालन के लिए पांच महिलाओं को चाभी प्रदान की गई। मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) समूह महिलाओं के आर्थिक उत्थान का बड़ा माध्यम हैं। गरीबी उन्मूलन का सबसे बड़ा माध्यम आजीविका मिशन है।

ठीकेदार को पांच साल तक करनी है सड़कों की मरम्‍मत

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित सड़कों की मरम्म्त पांच साल तक ठीकेदार को करनी है। यदि ठीकेदार ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कोरोना काल में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा प्रवासियों को रोजगार प्रदान करने के कार्य की सराहना की। ग्राम्य विकास आयुत के. रवींद्र नायक ने कहा कि बेघरों को आवास उपलब्ध कराया जाए और अधूरे आवासों को प्रमुखता के आधार पर पूरा करते हुए उसकी फोटोग्राफी जरूर करायी जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसी जिले में लक्ष्य सरेंडर करने की जरूरत पड़ रही हो तो इससे पहले एक बार दोबारा लाभार्थियों का सत्यापन जरूर कराया जाए। अपलोड डाटा की आकस्मिक जांच की जाएगी, यदि पात्रता सूची में कोई गड़बड़ी मिलती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। लाभार्थी के आवास के सामने सहजन का पौधा जरूर लगाया जाए और उसकी फोटोग्राफी भी करायी जाए।

अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने कहा कि मनरेगा का सोशल आडिट जरूरी है। पौधारोपण का वरीयता के आधार पर सर्वे कराते हुए मस्टररोल तैयार किया जाए। वनटांगिया एवं मुसहर गांव में 100 दिन का काम जरूर प्रदान किया जाए। एनआरएलएम के एमडी सुजीत कुमार ने बताया कि प्रदेश में चार लाख 22 हजार स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। इनमें से 1215 को कोटे की दुकानें आवंटित की गई हैं। अभी 915 दुकानें आवंटित करनी हैं। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं द्वारा विद्युत बिल कलेक्शन, मीटर रीङ्क्षडग एवं स्कूल ड्रेस तैयार करने का काम भी किया जा रहा है।

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