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इसके बाद उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। सिद्धू संसद की सदस्यता छोड़ दी थी, जबकि यह जरूरी नहीं था। संसद सदस्यता का त्याग कर वे दोबारा लोगों के बिच गए और चुनाव लड़ा। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उनकी सजा निलंबित कर दी थी। हाईकोर्ट ने श्याम नारायण पांडे के केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाल देते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में यही कहा है कि अगर ऐसे मामलों में अपराध हुआ है और दोषी को दी गई सजा पर रोक लगा दी जाय तो इससे न्यायपालिका पर ही सवाल खड़े हो जाएंगे।
बता दें कि बीबी ने पटियाला की सीबीआई अदालत द्वारा वर्ष 2012 में उन्हें सुनाई गई पांच वर्ष की सजा को निलम्बित किये जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई। बाद में बीबी जागीर कौर ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर उन्हें सुनाई गई सजा के निलम्बन की मांग की थी।
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दायर अर्जी में बीबी जागीर कौर ने कहा था की वह इस समय न सिर्फ भुलथ से विधायक हैं, बल्कि पार्टी की वरिष्ठ नेता होने के साथ ही शिरोमणि अकाली दल महिला विंग की अध्यक्षा भी हैं। लिहाजा पंजाब के आगामी विधान सभा चुनावों में वे पार्टी की ओर से चुनाव लड़ना चाहती हैं और चुनाव प्रचार करना चाहती है।
जब तक उनके खिलाफ सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई सजा निलम्बित नहीं होती है, तब तक वे चुनाव नहीं लड़ सकती। लिहाजा उन्होंने सीबीआई अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई 5 वर्ष की की सजा को निलम्बित किया जाए। जिसे हाईकोर्ट ने सोमवार को ख़ारिज कर दिया है।