हर कोई जीवन में तरक्की पाना चाहता है और आसमान की ऊंचाइयों तक जाना चाहता है। जीवन में हर कोई चाहता है कि वह तरक्की की ऊंचाइयों छुए लेकिन क्या आप जानते हैं कि तरक्की किन कारणों से आपके जीवन में आती है। आपकी कुंडली में कुछ योग ऐसे होते हैं जिनसे तरक्की का निर्धारण होता है। कुंडली में लग्न की शक्ति सूर्य की शक्ति और चंद्रमा की शक्ति के साथ ही दशम भाव की शक्ति को देखा जाता है। कुंडली में यह चार चीजें ऐसी होती हैं जिनसे आपके तरक्की और जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंचने और छूने की राह आसान होती है।
कई लोग ज्योतिष विद्या को नहीं मानते हैं तो वहीं कई लोग इस विद्या पर अटूट विश्वास रखते हैं। लेकिन आप जानते हैं हमारे साथ छोटी बड़ी घटनाएं हमारे कुंडली के योग के कारण ही होती है। कुंडली में ही ऐसे योग होते हैं जिनसे आपके अंदर की जिज्ञासा और अधिक से अधिक चीजों को सीखने की प्रवृत्ति को जगाता है यही आपके ऊंचाइयों तक ले जाने में सफल होता है और सक्षम रहता है।
अगर आपकी कुंडली में चंद्र राशि का स्वामी लग्नेश में सूर्य का स्वामी और वही दसवें भाव में दसवें भाव का स्वामी उपस्थित हो तो इसे कुंडली में सफलता के योग बनते नजर आते हैं।
वही अगर पहले भाव की करें कुंडली की पहले भाव का तात्पर्य लग्नेश मैं चंद्र राशि वाला भाव और सूर्य राशि का भाव साथ में दशम राशि का भाव भी देखना पड़ता है, इसी से आपकी सफलता के योग बनते हैं।
कुंडली में अगर बताए गए चारों भाव एक जगह उपस्थित हो तो इसे शुभ ग्रह होने से व्यक्ति की क्षमता और उसकी स्थिति मजबूत होती है।
इन चारों भाव के शुभ ग्रहों के होने से इसे शुभ माना जाता है।
इन चारों भाव के ग्रहों के शुभ होने से भाव का जो बल होता है वह मजबूत होता है।
वहीं अगर इसके विपरीत इन भाव में कोई अशुभ ग्रह आ जाए तो आपकी कुंडली के भाव को कमजोर कर देता है और आप का मन पढ़ाई या सीखने की क्षमता को कम कर देता है और मन नहीं लगता है।
ग्रहों के अशुभ फल –
अगर कोई ग्रह अपने उच्च राशि और अपने मित्र राशि का ग्रह की राशि में हो तो इसे शुभ माना जाता है और यह शुभ फल देता है।
कोई ग्रह कुंडली में अपनी राशि पर दृष्टि रखता है तो इसे देखे जाने वाले भाव पर निर्भर करता है और इससे शुभ माना जाता है।
अगर कोई ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ में हो या उसके समानांतर हो तो शिर्डी शुभ माना जाता है।